यह एक निष्पक्ष आरसीएम मंच ब्लॉग हे जहाँ RCM से लाभार्थी और पीड़ित दोनो ही पक्ष अपनी बात खुल के बोल सकते हें और एक दूसरे की टिप्पणियों का माकूल जवाब दे सकते हें. इस ब्लॉग की ज़रूरत इसलिये पड़ी क्योकि वर्तमान में नेट पर उपलब्ध अन्य सभी ब्लॉग एक साजिश के तहत RCM के पक्ष की ही बात को अपने ब्लॉग पर रख रहें हें, इनमें से कई अवसरवादियों ने तो हमारी मजबूरी से कमाई करने का ज़रिया लुभावने गूगल एडसेंस, विजापनों आदि को अपने ब्लॉग, साइट पर दे कर बना लिया हे और हमारे हर क्लिक पर वे 25/- से 100/- रूपए कमा रहें हें, अन्तह वे निष्पक्ष नहीं हे, जिससे आख़िर RCM का सच, हक़ीकत क्या हे आम जनता या डिसट्रिब्युटर नहीं जान पा रहा हे, इसी सच को सामने लाने का हमारा यह छोटा सा प्रयास हे, आप RCM से मिले अपने सच्चे अनुभव, जानकारी को पूरे देश को सारगर्भित भाषा में बताएँगे. ध्यान रहे कि इस प्लेटफोर्म पर आपके कमेन्ट बे-बुनियाद हो और अपने कमेन्ट के लिए आप स्वंय जिम्मेवार होंगे, इस ब्लॉग का आर सी एम् कंपनी, मालिको, लीडरों आदि से कोई संबध नहीं हे. धन्यवाद.

यदि आप RCM में अपने स्वयं के साथ घटित कोई घटना, खबर, सबूत इस ब्लॉग में पोस्ट के तौर पर देना चाहते हो या हमें उसकी जानकारी देना चाहते हो तो उसे ई-मेल पता: rcmmanch@gmail.com पर अपना व शहर का नाम + पिनकोड, मोबाईल नंबर के साथ भेजे जिसे यथासंभव इस ब्लॉग पर यदि आप चाहेंगे तो केवल आपके नाम के साथ पोस्ट के तौर पर स्थान दिया जा सकेगा. आपका नाम, ई-मेल आई डी व मोबाईल नंबर वेलिड व वेरिफाइड होनी चाहिए.


आप नीचे दिए SMS को कॉपी कर के अपने दोस्तों को मोबाइल या फ्री में एक सिम से 200 SMS प्रति दिन way2sms.com या site2sms.com के माध्यम से भी भेज सकते हे.
RCM Ka Sach Jaanane Ke Liye Aaj Hi Visit Kare : www.rcmmanch.blogspot.com Aur Is SMS Ko Apni Puri Down-Leg, Friends Ko FORWARD Kare. Thanks


Saturday 17 March 2012

RCM आरसीएम कंपनी शुरू से ही हर तरह से हर स्तर पर कानून की आँखों में धुल झोंक कर आमजन को ठग कर पैसा बना रही थी

दो लाख रुपये की सामान्य पूंजी से शरु हुई RCM आरसीएम कंपनी शुरू से ही हर तरह से, हर स्तर पर कानून की आँखों में धुल झोंक कर आम अवामजन को ठग कर पैसा और ढेर सारी सम्पति बना रही थी, इनके द्वारा की जा रही ठगी के कई बड़े खुलासे तो हो गए हे लेकिन कई तरीके ऐसे थे कि कोई सपने में भी नहीं सोच सकता कि खुल्ले आम ठगी की जा रही हे, उनमे से कुछ उदाहरण निम्नलिखित हे :--




मीटिंग प्रवेश शुल्क से ठगी  :-
पहले से RCM आरसीएम कंपनी के लिए कार्य कर रहे सेवक जिस किसी को कंपनी का सदस्य बनाना चाहते थे तो उसे सामान्य जानकारी देने के बाद किसी न किसी तरीके से उसे मीटिंग स्थल तक लाते, इस तरह की मीटिंगे, सेमिनार देश के हर छोटे-बड़े शहर, गाँव में हर माह कई बार होती ही रहती थी जिसे कंपनी से आये लीडर संबोधित करते थे और वहां उस नये सज्जन से 30/- से 100/- रुपये प्रवेश शुल्क के नाम पर धरा लिए जाते. लीडर की तो सेमिनार लेने की मज़बूरी होती थी क्योंकि यदि वह हर माह कम से कम दो बार मीटिंग नहीं लेता तो कंपनी उसका लीडरशिप बोनस (मीटिंग लेने का भत्ता) रोक देती लेकिन उस सज्जन की अन्दर आने की मज़बूरी का फायदा उठाया जाता.

यहाँ बात  30/- से 100/- रुपये की नहीं हे ये तो बहुत मामूली रकम हे लेकिन जरा सोचिये कि पुरे देश में इस तरह की सेकड़ों मीटिंगे रोज होती थी जिनमें कुल मिला कर  हर माह लाखों लोग शिरकत करते थे और इस ठगी का शिकार होते थे.

जोइनिंग किट से ठगी :-
साम-दाम-दंड-भेद आदि उपायों के कारण यदि कोई RCM आरसीएम कंपनी में जोइनिंग लेना चाहता तो उसे एक जोइनिंग किट जो कि ना ना प्रकार के होते उनमे से कोई एक खरीदना पड़ता, ज्यादातर लोग 1500/- रुपयों वाला एन एम किट खरीदते जिसकी बाजार में वास्तविक कीमत 600/- रुपये भी नहीं होती थी अंत सीधे तौर पर उसकी 900/- रुपयों से पहली ही खरीद पर जेब कटती, इस तरह प्रति माह लाखों लोग उन्हें दिखाए गए खयाली ख्वाबों, लोटरी खुलने की आस में जोइनिंग करते और कंपनी करोडो रूपए कमाती. रेड पड़ने तक करीब एक करोड़ चोतिस लाख लोगो को कंपनी इस तरह से बड़े ही आराम से ठग चुकी थी.


मासिक खरीददारी में ठगी  :- 
RCM आरसीएम कंपनी अपने प्रत्येक सदस्य को डिस्ट्रीब्यूटर मानती और उसे कई तरह की स्कीमो का लालच दे कर उससे प्रति माह  कम से कम 1000/- रुपयों के सामान की खरीददारी करवाती जिनमें अधिकतर सामान की क्वालिटी हलके दर्जे की होती और ये उपभोक्ता सामग्री के लिए सरकार द्वारा निर्धारित किये गए स्टेंडर व् प्रयोगशाला से भी प्रमाणित नहीं होते थे और खुल्ले बाजार में उनकी वेल्ल्यु आधी 500/- रूपए भी नहीं होती थी जबकि कंपनी के द्वारा सभी बिचोलियों को हटा कर उन्हें सीधे बिक्री की जाती थी. एक छोटे से उदाहरण से यह बात साबित होती हे कि बाजार में FPO से प्रमाणित पारले ग्लूकोज बिस्किट करीब 100 Gr. वजन का सात-सात विपणन बिचोलियों को बीच में कमीशन देने के बाद अंतिम उपभोक्ता को 5/- में मिलता हे, वही RCM अपना लोकल क्वालिटी का मिल्क मैजिक बिस्किट निर्माण कंपनी से सीधे उपभोक्ता को देने के बावजूद  60 Gr. के  5/- रुपये वसूलती थी, इस तरह के सेकड़ो उदाहरण भरे पड़े हे. अंत स्पष्ट हे कि RCM लोगो को लोटरी और चैन सिस्टम का लालच दे कर अपना घटिया माल भी महंगे दामो पर बेच रही थी. 500/- रुपये ज्यादा ले कर कंपनी उसके अपने यहाँ बनाये गए खाते में करीब 40/- रुपये वापस डालती थी जो कि 500/- रुपये योग होने पर ही उसके बेंक खाते में ट्रांसफर किये जाते थे अंत स्पष्ट हे कि 12 माह तक के कुल 6000/- रुपये ज्यादा ले करके उसे 500/- रुपये ही वापस मिलते. यदि कोई बेचारा बीच में किसी वजह से खरीददारी करना छोड़ देता तो उसका कमीशन कंपनी में ही पड़ा रहता. अभी जाँच करताओ के खुलासे में मालूम चला हे कि इस तरह के 64,00,000  चौसठ लाख लोगों का कंपनी करोडो रूपए कमीशन लम्बे समय से दबा कर बैठी थी यानि कि कंपनी के साथ आय की आस में जुड़े कुल लोगो में से आधो को हकीकत में एक पैसे का भी कमीशन नहीं मिला था.


रिवार्ड ATM CARD फार्म से ठगी :-
कंपनी RCM आरसीएम अपनी स्थापना से कुछ वर्षों तक सदस्यों को उनके कमीशन का भुगतान चेक से करती थी लेकिन बाद में चेक बंद कर दिए गए और कहा गया कि अब ऑन लाइन कमीशन को ट्रांसफर किया जायेगा और इसके लिए UTI BANK अब AXIS बैंक में कंपनी के द्वारा डिस्ट्रीब्युट्रो का खाता खुलवाया जायेगा और इसके प्रति फॉर्म का चार्ज आरसीएम कंपनी के द्वारा 150/- रुपये लिए गए  जिसकी किसी को कोई रसीद नहीं दी गयी और लाखों कि तादात में ये फार्म बेचे गए, जबकि बेंक के द्वारा फार्म और खाता खोलने का एक पैसा भी चार्ज नहीं लिया जाता हे केवल एक वर्ष पूर्ण होने पर डेबिट कार्ड के वार्षिक चार्ज उसके खाते में डेबिट किये जातें हें. इस तरह करोडो रुपये इक्कठे किये गए.


रिजोइनिंग किट से ठगी :-
 "Come Once Stay Forever"  के नारे को जोर शोर से प्रचार करने वाली कंपनी RCM आरसीएम ने खुद को, परिवारजनों और कुछ चापलूस लीडरों को ज्यादा फायदा दिलाने के लिए एक साजिश रची और लाखों सदस्यों को उन्हें मेहनत कर के ज्वाइन कराने वाले प्रपोजर, ग्रुप की जेनेरिक ट्री के एक निश्चित स्थान से अन्य जगह उन लीडरों, परिवारजनों की ट्री में स्थानांतरण कर दिया इस कारण से लाखों वे सदस्य जिनका थोडा-बहुत कमीशन बनता था वह भी बंद हो गया पर वे चुने हुए लीडर व् परिवारजन और अधिक धनवान हो गए. इस रि-जोइनिंग  किट से कंपनी ने भी अपनी सोची समझी रणनीति से खूब चाँदी काटी और अपना ओवर स्टॉक, पुराना ख़राब हो चुका सामान, रिजेक्टेड सिडियें, रद्दी के भाव बिकने वाली किताबे, बेग आदि को जिनकी कीमत बाजार में 100/- रुपये भी नहीं थी को 500/- रुपयों में बेच दिया जिससे कंपनी और मुख्य कार्यकरता तो आर्थिक आजाद हो गए लेकिन वे लाखों लोग जो आर्थिक आजादी पाने की आस में आये थे वे ठगे से रह गए, उनकी 'B' लेग का बिजनस लाखों रुपयों से हजारों, फिर धीरे-धीरे सेकड़ो और आखिर में 0 पर आ गया, अपनी मेहनत को इस तरह लुटते देख उनकी कैसी हालत हो गयी?


लीडरों के अंतर्कलह से ठगी :-
कहने को तो RCM आरसीएम कंपनी ने इस बिजनस को आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़ाने और एक बार मेहनत करने के बाद कई पीढ़ियों तक आय उस मेहनत से लगातार मिलती रहेगी कह कर प्रचारित किया, लेकिन असली हकीकत कुछ और ही थी. आर सी एम् बिजनस प्लान इस तरह गढ़ा गया कि हर सदस्य की क्रोस लेग होती थी और सेमिनारों के मंच पर आपस में गले मिल कर अति प्रेम का नाटक करने वाले लीडर जिनके कि अच्छा-खासा कमीशन हर माह बनता था वे बेचारे इस तरह के बिजनस प्लान की वजह से मजबूर हो कर बाहर फिल्ड में एक-दुसरे की लेग पर कुल्हाड़ी भी चला देते थे यानि कि क्रोस लेग में जुड़े अच्छे कार्य करने वाले को प्रलोभन दे कर अपनी लेग में जोड़ लेते, और यही छोटी सी गलती से वे टी सी जी के पहले से ही इस बात को ध्यान में रख कर बनायें शर्तो के जाल में फंस जाते, फिर शिकायतों का दौर शरु होता व् मामला टी सी जी तक जाता और जिस तरह दो बिल्लियाँ अपनी एक रोटी की लड़ाई के न्याय के लिए चालाक बन्दर के पास जाती हे तो क्या होता हे यह बात बच्चा-बच्चा जानता हे, जिस पक्ष का पलड़ा भारी होता वह बच जाता और हल्के पलड़े वाले की या दोनों की ही आईडी सर जी टर्मिनेट कर देते, अन्य लीडर लोग इस न्याय की वाह-वाह करते, खूब तालियाँ बजाते बिना यह जाने कि एक दिन किसी न किसी बहाने से आखिर उनका भी टिकट कट जायेगा, यही एक तरह से पहले से सोची समझी चाल, ठगी थी क्योंकि अब से हर माह उस टर्मिनेट हुई आईडी पर बनने वाला उतरोत्तर बढ़ता हुआ लाखों का कमीशन कंपनी के बेंक खातों में ही सर जी की पीढ़ियों तक के लिए कैद हो जायेगा और वह लीडर न घर का रहता न घाट का और ख़ून के आंसू रोता कि शायद सर जी का दिल पसीज जाए लेकिन उस जीव को क्या मालूम कि ये एहसान फरामोश अब इतने बड़े बन चुके कंगूरे की नीवं की ईट को इस तरह निकाल फेंकते हे जैसे दूध में से मक्खी. जाँच में इस तरह की करीब चार लाख आइडियें पाई गई हे जिन पर हर माह करोडो का कमीशन बनता था लेकिन उसका भुगतान उन सदस्यों, लीडरों को नहीं किया जाता था कंपनी के पास ही रहता था. आखिर उन लाखों भाइयों की हाय भगवान ने सुनी और उस घमंडी कंगूरे को टी.टा. की तरह जमींदोज कर दिया.


किताबों, सी डी व टूल्स से ठगी :-
किसी के RCM आरसीएम में जोइनिंग ले लेने के बाद उसके अप लाइन के द्वारा किसी न किसी बहाने से उसे ढेर सारी आर सी एम् की किताबें, सी डी यां व टूल्स जबरदस्ती खरीदने के लिए बाध्य किया जाता. ये टूल्स अधिकतर कंपनी के कर्ता धर्ताओं के द्वारा ही लिखे या बनवाये गए होते जिनकी लेखन, प्रिंटिंग व  रिकार्डिंग क्वालिटी बहुत ही निम्न स्तर की होती थी ऐसे टूल्स को कंपनी उसकी लागत से कई गुना अधिक कीमत पर जबरदस्ती विक्रय कर के एक तरह से ठगी करती थी. लाखों की संख्या में इस तरह के टूल्स बेच कर कंपनी ने करोड़ों रुपये बनाये.






वेबसाईट अपग्रेड के बहाने ठगी :-

आपको यह बात अजीब सी लग सकती हे लेकिन सत्य यही हे कि RCM आरसीएम कंपनी समय-समय  पर यह कह कर वेब साईट अप ग्रेड करती रहती कि इससे कार्य प्रणाली में सुधार होगा लेकिन परदे के पीछे का सच यह था कि इस बहाने लाखों डिस्ट्रीब्यूटर जिनका कि कंपनी अकाउंट में कमीशन 500/- रुपये से कम जमा हुआ होता था उसे 0 कर दिया जाता, यही नहीं जिनका 500/- से 5000/- प्रति माह कमीशन उनके बेंक खातों में ट्रांसफर हो रहा होता उनके पर्सनल डिटेल से बेंक खाते कि डिटेल ही हटा दी जाती थी ताकि न रहें बांस न बाजे बांसुरी. इस तरह के पीड़ितों को कई- कई माह तक तो यह मालूम ही नहीं चलता था क्योंकि हर आम सदस्य तो रोज इन्टरनेट पर अपना आर सी एम् खाता चेक करता नहीं था फिर फोन पर कस्टमर केयर का तरीका असह्योगनीय व् टाल-मटोल करने वाला होता था और यह फोन भी उन्हें बड़ी मुश्किल से ही लग पाता था और हर डिस्ट्रीब्यूटर तो भीलवाडा इस छोटी सी रकम के लिए आ नहीं सकता था और अंत में  इनमे से कुछ विरले सक्रीय डिस्ट्रीब्यूटर ही अपना खोया धन वापस किसी तरह से जुगाड़ कर के पा सकते थे बाकियों का इस छोटी-छोटी रकम से बना कुल करोडो रूपया कंपनी के पास ही पड़ा रह जाता इस तरह कंपनी यहाँ पर भी ठगी करने से नहीं चुकती थी.



कंपनी और बड़े लीडरों की साठं-गाठं से ठगी :-
जंगल का राजा शेर और जंगल की नदी का ऊपर से नीचे की और बहता पानी पीती बेचारी बकरी की कहानी आप सभी ने पढ़ी-सुनी होगी, ठीक इसी तरह अपना सब कुछ RCM आरसीएम कंपनी व् लीडर के लिए न्योछावर कर देने वाले कई डिस्ट्रीब्यूटर जिन्हें लम्बे समय तक मेहनत करने के कारण कुछ अच्छी आय होना शरु हो जाती और वे अब कुछ पैसा अपने परिवार की खातिर बचाने के लिये बचत करना शरु कर देते यानि कि रोज-रोज स्थानीय  लीडरों की होने वाली मीटिंगों में जाना बंद कर देते थे या अपने परिवार की बढती जरूरतों को पूरा करने के लिये कोई अन्य कार्य भी साथ में शरु कर देते बस इसी ताक में बेठे स्थानीय लीडर ईर्ष्यावश अपने बड़े लीडरो के कान भरते और बड़े लीडर राजा का और फिर राजा 'येन-केन-प्रकारेण' जैसे आरोप लगा कर उसका हर माह होने वाला भुगतान रोक देते उसे सुनवाई का कोई नोटिस भी नहीं दिया जाता और इस तरह उसकी आर्थिक जिंदगी का काम तमाम कर दिया जाता. इस तरह के लाखों बेचारों को कुटिल चाल से ठगा जाता, उनके कार्य द्वारा अर्जित कमीशन का पैसा अब सीधे राजा के घर ही जाता और उन बेचारों के घरों के चूल्हे जलना बंद हो जाते. अब जब उपरवाले के न्याय से जंगल के राजा शेर (T.C.) और उसके शिकार का बचा-खुचा खाने वाले मंत्रियों यथा बाघों (A.A.), गीदड़ों (T.A.), कौओं (R.A.) के घरों के चूल्हे बुझ गये तो इन्हें अपनी प्रजा ( बकरी, D.B. ) के चूल्हे का ख्याल आ रहा हे, जिनके चूल्हे कभी  इन्ही शेतानो ने बुझाये थे, वा भई वा ये कैसे कुटिल लोग निकले.


बिना नाम, अकाउंट मद की कटौती से ठगी :-

ज़माने भर में यह ढिंढोरा पीटा जाता कि RCM आरसीएम कंपनी में जोइनिंग लेने वाला हर सदस्य केवल सदस्य या डिस्ट्रीब्यूटर ही नहीं हे बल्कि वह कंपनी का पार्टनर, हिस्सेदार, मालिक भी हे. लेकिन हकीकत इस बात से कोसों दूर थी, असली मालिक रोज-रोज अपनी मन-मर्जी से नित-नये नियम और प्लान के तरीके बदलते रहते थे जिस कारण उस सदस्य ने जिस समय जोइनिंग ली थी उस समय के कंपनी के बनाये गए नियमों का आगे चल कर कोई वजूद ही नहीं रहता और इस आमूलचूल बदलाव के लिये उस सदस्य से जो कि अपने आप को कंपनी की कागची बातों के कारण कंपनी  का मालिक समझता था उससे कभी कोई राय-मशविरा, सहमती नहीं लिया जाता.

इसी सिलसिले में कुछ वर्ष पहले कंपनी ने हर माह हर कमीशन अर्न करने वाले सदस्य के कमीशन में से बिना किसी विशेष नाम या मद की कटौती काटनी शरु कर दी जो कि सदस्यों की कमीशन राशी की गणना के हिसाब से अलग-अलग होती थी और प्राय 20/- से ले कर 300/- रुपये तक होती थी. यदि इस बेनामी राशी का औसत प्रति सदस्य 50/- रुपये भी यदि कम से कम माना जाय तो भी हर माह कुल करोडो रुपये कंपनी सदस्यों की आय में से झटक लेती, इस मद में एक हास्यापद बात भी होती की जिस बेचारे सदस्य के बेंक में ट्रांसफर होने के योग्य 500/- रुपयों की राशी का कमीशन नहीं भी बनता तो भी यह राशी कंपनी काट लेती इस प्रकार कंपनी के असली मालिक बड़े आराम से जोर का झटका धीरे से के तर्ज पर ठगी करते.


RCM आरसीएम के द्वारा बीमा उत्पादों के खयाली प्रचार से ठगी :-


कुछ वर्ष पहले RCM आरसीएम कंपनी ने बजाज एल्लियांज लाइफ इंश्योरेंस के साथ उसके उत्पादों को बेचने का करार किया था और वे उत्पाद जो उस समय इंश्योरेंस मार्केट में कड़ी प्रतिस्प्रधा के कारण बजाज बेच नहीं पा रहा था उन अति रिस्की बीमा उत्पादों को कंपनी और उसके लीडरों ने एड़ी-चोटी का जोर लगा कर लाखों की तादात में उन ग्राहकों को बेच दिया जो बीमा उत्पादों और शेयर मार्केट की A B C D  भी नहीं जानते थे लेकिन चूँकि कंपनी और उसके लीडरों ने अपने आप को बीमा शेत्र के विशेषग्य, महारथी के तौर पर पेश किया तो उन लाखों बेचारे भोले लोगों ने कंपनी व् लीडरों पर आँख मीच कर विश्वास कर लिया और उनकी बताई बे-सिर-पैर की खयाली पॉलिसियों पर कुल अरबों रुपयों का इन्वेस्टमेंट कर दिया. उन्हें यह बताया गया था कि उनके इन्वेस्टमेंट पर उनको वापस रिटर्न मल्टीप्लाई हो कर कई गुना बढ़ कर वापस मिलेगा. लेकिन अब जब 3 से 5 वर्ष पुरे होने पर जब वे ग्राहक, इन्वेस्टर अपना पैसा वापस लेने गए तो हकीकत में उन्हें उनकी खून-पसीने से कमाई जमा करायी गयी मूल जमा पूंजी से कई गुना कम वापस मिला, चेक की रकम देख कर उनके हाथो से तोते उड़ गए लेकिन कंपनी और उसके करता धर्ताओं, लीडरों के चेहरों पर शिकन तक नहीं आई और आती भी क्यों, क्योकि इंश्योरेंस कंपनी ने उन्हें तो मालामाल कर ही दिया था. यहाँ सोचने की बात यह हे कि एक सामान्य बजाज इंश्योरेंस एजेंट को भी  इस तरह की पोलिसी लाने पर प्रथम प्रीमियम पर 30% से 50% तक कमीशन बजाज कंपनी से मिलता था तो लाखों की तादात में पालिसी लाने वाले एजेंट RCM को तो इससे कही ज्यादा ही मिला होगा जबकि RCM ने इस तरह प्राप्त किये कमीशन में से तुलनात्मक तौर पर बहुत ही कम राशी वापस आगे बांटी. इस तरह बड़ी ही सुनियोजित तरीके से इस  ठगी को अंजाम दिया गया.


RCM कस्टमर केयर नंबर के द्वारा ठगी :-

बड़े ही आश्चर्य की बात थी कि अपने आप को इस देश कि सबसे बड़ी MLM कंपनी का ख़िताब देने वाली कंपनी अपने देश भर में  फैले करोड़ों सदस्यों को उनकी सहूलियत के लिए "TOLL FREE"  कस्टमर केयर नंबर देने की जगह उनकी हर कॉल से उनकी जेब काट रही थी और एक विशेष टेलकॉम कंपनी को ही इसका लाभ दिला रही थी. हुआ यू था कि RCM ने कुछ वर्ष पहले TATA INDICOM से टाई-अप किया था जिसमे टाटा के मोबाईल फोन प्रोडक्ट और टॉप-अप अपने सदस्यों को बेचने की बात थी (हालाँकि इसमें भी सदस्यों को कई तरीके से ठगा गया उनकी चर्चा हम बाद में करेंगे) इसके साथ ही कंपनी ने अपने लगभग सभी आफिस के फोन टाटा कनेक्शन के लगा लिए और सदस्यों को भी टाटा+आरसीएम के मोबाईल और टॉप-अप लेने के लिए हर डायरेक्ट-इनडायरेक्ट तरीके से बाध्य किया गया था और इसके लिए कंपनी ने अपने ऑफिस + कस्टमर केयर सिस्टम में छदम निति से बदलाव करके कुछ ऐसा किया कि उसमें अब सिर्फ टाटा कंपनी के फोन से आने वाली कॉल ही रिसीव हो सकती थी अन्य किसी कंपनी के नेटवर्क से आने वाली कॉल कनेक्ट ही नहीं होती थी अतः मज़बूरी में सक्रीय सदस्य को TATA+RCM का कनेक्शन लेना ही पड़ता अब या तो वह TATA से TATA फ्री कॉल के लिए 525/- रुपये का एक माह की समय सीमा का  STV खरीदता या नार्मल टॉप-अप पर हर सेकेण्ड पल्स रेट चार्ज देता. अब जैसे ही पहले से ही हर तरह से परेशान हो कर कोई बेचारा सदस्य अपनी प्रोब्लम सोल्व हो जाने कि आस में कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करता तो उधर कंपनी के कम्पूटर सिस्टम पर उसका कॉल अटेंड हो जाता इसके साथ ही उसका पल्स रेट के हिसाब से मीटर भी चालू हो जाता अब पहले से  रिकोर्डडेड  आवाज उसे उसकी परेशानी के हिसाब से अलग-अलग बटन दबाने को कहती और यदि वह रिप्रजेंटेटिव से बात करने का बटन दबाता तो उसे सभी लाईने व्यस्त हे कह कर कुछ देर इंतजार करने के लिए कहा जाता जो कि कई-कई मिनटों का हो जाता और उसका बेलेंस साफ़ होने लगता, और यदि रिप्रजेंटेटिव लाइन पर आ भी जाता तो भी वह उसकी समस्या को समझ पाने में असमर्थ होता, लाइन आगे से आगे ट्रांसफर होती जाती और  ज्यादातर मामलों में कस्टमर जो कि पहले से ही RCM के कष्टों से मर रहा  होता परेशान हो कर लाइन ही काट देता. इस तरह  RCM कंपनी अपने सक्रीय सदस्यों को भी ठगने में नहीं चुकी.


RCM द्वारा हमारे परिवार व्यवस्था, सामाजिक ताने-बाने में सेंध कर के ठगी :-

RCM एक-दो ही नहीं बीसियों तरह के कानून, नियम, अधिनियमों के उलंघन का दोषी पाया गया हे जिसकी जाँच चल रही हे, इनके द्वारा किये गए कई अपराध तो बहुत ही गंभीर श्रेणी के हे अन्तह इसका वापस शरु होना अब ना-मुमकिन हे.
फिर भी यदि यह अपनी अर्जित की गयी विशाल काली कमाई के बल पर देश की पूरी न्याय व्यवस्था, संसद व्यवस्था को ही खरीद कर यदि वापस चालू हो जाता हे तो फिर ये क्या देश के जम्मू कश्मीर से ले कर कन्याकुमारी तक की गली-गली, कूंचे-कूंचे में समाज कंटकों के द्वारा इस तरह की लाखों कम्पनीये रातों-रात खोल दी जायगी और फिर अब तक इस तरह की कंपनियों की ठगी से बचे देश के 350 करोड़ लोग भी किसी न किसी तरह से इनकी चपेट में आयेंगे ही आयेंगे. क्योंकि इनका RCM का तरीका ही एसा होता हे कि कोई भी साला (गाली वाला साला नहीं) अपने बहनोई को, बहनोई अपने साले को, भाई-भाई को, बहन-बहन को, बेटा-बेटी माँ-बाप को, माँ बाप बेटे-बेटी को, बॉस मातहत को, अफसर क्लर्क को, क्लर्क चपरासी को, नेता ठेकेदार को, जज वकील को, वकील मुवक्किल को यदि इस तरह कि कंपनी में जुड़ने का आग्रह करेगा तो सामने वाला मना कर ही नहीं सकता इस तरह से न चाहते हुए भी वह इस तरह की अपनों के ही साथ की जाने वाली ठगी, सामूहिक लूट में वह बेचारा शामिल हो जायेगा और जिस तरह "सास भी कभी बहु थी" को भूल कर वह सास बन जायेगा और वही सब कार्य अपनी बहुओं के साथ करेगा जो कभी उसे बुरे लगते थे.
मेरे कहने का तात्पर्य यह हे कि पूरे देश का हर नागरिक इस तरह से गाहे-बगाहे ठग बन जाएगा. जब केस लड़ने वाला पुलिस, वकील, जज, नेता ही एसी किसी कंपनी से जुड़ा होगा तो वे केस लगाने वाले को ही मिलीभगत कर के जेल में डाल देंगे क्योकि ये कंपनिया इन्हें सिस्टम के तरीके से एक नंबर कि उपरी हराम की लाखो की कमाई हर माह देगी जो कि उनके द्वारा देश के लिए की जा रही नौकरी, कार्य  से होने वाली  खून-पसीने की कमाई से कई गुना अधिक होगी और फिर ऐसी स्थति में शिकायत करता, पीड़ित किससे शिकायत करने जायेगा, उधर ठगों के सरदारों के घरों में तो रोज जश्न मनाया जायेगा, उनकी पाँचों उंगलियाँ घी में होंगी और माथा कडाई में, उनके तो  "सैयां भये कोतवाल तो डर काहेका"  इधर पीड़ित अपनी दुर्दशा पर भगवान को ही कोसेगा की हे भगवान तुम्हें  मुझे जब इस धरती पर भेजना ही था तो इतनी बड़ी दुनियाँ में इस ठगों के देश में ही क्यों भेजा, जन्म दिया?
भाई, एसी स्थति आने पर जो देश कभी डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती थी बसेरा के नाम से पूरी दुनियाँ में जाना जाता था वह तब डाल-डाल पर ठग करते हें बसेरा के नाम से प्रसिद्ध हो जायेगा. अब यह आप पर, मेरे देश वासियों पर निर्भर करता हे कि वे भविष्य में दुनियाँ में अपने देश की क्या पहचान चाहते हें? ठगी करके सोने की चिड़िया बनना या मेहनत-परिश्रम कर के सोने की क्या हीरे की चिड़िया बनना.
यदि आप मेरे विचारों से सहमत हे तो चुप नहीं बेठे रहिये! ये ठग जेल से ता-उम्र बाहर नहीं आ सके! RCM ठग कंपनी या इस तरह की अन्य कोई भी ठग कंपनी इस देश में शरु नहीं हो सके! इसके लिए आपसे जो भी, जैसे भी हो सकता हो अपने-अपने स्तर पर प्रयास कीजिये. यदि इस तरह की ठग कम्पनिये फिर से शरु हो गयी तो हमारी पीढ़ीयें हमें कभी माफ़ नहीं करेंगी.


RCM के मालिक द्वारा आम जनता को संत का मुखोटा लगा कर भावनात्मक ठगा गया :-

हमारे पास कई-कई  सबूत हें जो यह साबित करते हें कि RCM में हर तरह से हर स्तर पर ठगी कर के पैसा बनाने का कार्य उपरी लेवल यानि टी. सी. जी. के द्वारा किया जा रहा था और बाकी सब तो उनके हाथों की  कठपुतली थे. बात ये नहीं हें कि वो ठग रहे थे, भोले लोगो को ठगने का कार्य तो हर देश में सदियों से होता आया हें, बात यह हें कि वे अपने आप को अपने प्रवचनों व् किताबों आदि से एक निस्वार्थ संत के तौर पर स्थापित कर के भावनात्मक तरीके से लोगो के साथ इस ठगी को अंजाम दे रहे थे जिससे आम लोगो का अब असली साधु-संतो की भावनाओं पर से ही विश्वास उठ जायेगा, लोगो में परोपकार की भावना ही नहीं रहेगी जो की इस भारत देश की मुख्य पहचान हे.

एक पुरानी कहानी हें कि एक बार जंगल में एक मुसाफिर अपने कीमती सामान और घोड़े पर सफ़र कर रहा था. रास्ते में एक खून से लथपथ व्यक्ति सड़क पर पड़ा कराह रहा था, यह देख वह भोला परोपकारी मुसाफिर दया वश अपने घोड़े से नीचे उतरा, खुद प्यासा रह जाएगा यह चिंता छोड़ कर उसे पानी पिलाया, खुद भूखा रह कर अपने हिस्से का खाना खिलाया और उसे अपने घोड़े पर बैठा कर खुद काँटों भरी राह में पैदल चलने लगा.

तभी अट्टहास करता हुआ वह ठग उसके घोड़े को एडी लगा कर उसके कीमती सामान सहित भाग गया, तब पीड़ित मुसाफिर ने उसे कहा अरे नीच तुझे और भी धन चाहिए तो मेरे घर आ कर ले जाना धन किसी के साथ स्वर्ग नहीं जाता लेकिन आइन्दा किसी और को इस तरह के बहरूपिया वेश से मत ठगना नहीं तो लोगो का हकीकत में दुर्घटना ग्रस्त हुए मरणासन्न व्यक्ति पर विश्वास नहीं रहेगा. वे उसपे दया नहीं दिखायेंगे, लोगो में परोपकार की भावना ही खत्म हो जायेगी.

ठीक ईसी तरह यह भेड़िया भेड़ की खाल ओढ़ कर दुनियाँ को ठग रहा था ताकि किसी को शक न हो और लोग कहे कि ये तो बेचारी भेड़ हें ये एसा कैसे कर सकती हें. बात-बात में ईश्वर को आगे लाने वाला स्वय इश्वर की आँखों में धुल झोंक रहा था. रंगे सियार का तो एक न एक दिन रंग उतरना ही था, लेकिन अफ़सोस हें कि उनके कई अंधभक्तो पर से अभी तक उसका चढ़ाया हुआ रंग नहीं उतरा हें?


RCM द्वारा गेर कानूनी कार्यों से सरकार व आम नागरिकों के साथ ठगी :-

हमारे इस मंच पर बने एक मित्र श्रीमान विकास गुप्ता जी ने एक बात लाख टके की कही हे की यह टी. सी. जी अब इस RCM BUSINESS को आगे चलाना ही नहीं चाहता था. 

आपकी यह बात 101% सही हे. ज्यादा नहीं सिर्फ तीन साल पीछे जा कर इनके द्वारा रोज-रोज की जा रही नित-नयी हरकतों पर गहराई से यदि नजर डाली जाये तो यह शक और भी पुख्ता होता हे. इन तीन सालों में इन्होने अपना पूरा ध्यान इस बात पर लगा दिया कि कैसे अति कम समय में अरबों-खरबों रुपये इक्कठे किये जाये, इसके लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए गए, सभी उत्पादों की क्वालिटी जो कि पहले से ही घटिया थी उससे ज्यादा लाभ निकालने के लिये और निम्नतर स्तर का किया गया इन्हें सामान नहीं बिकने का डर तो था नहीं क्यों कि लोटरी का लालच जो साथ जुड़ा था, और दो-दो जोइनिंग लाना हर लीडर की मज़बूरी थी, भलेही उन्हें अपनी जेब से 500/- -500/- रुपये देने पड़ते थे असली जोइनिंग लाने वाले को और उपभोक्ता कानून के नियम से इन्हें भय था नहीं क्योकि शिकायत करने वाले को इन्होने उसकी आईडी ही टर्मिनेट कराने का डर जो दिखा रखा था, अब "बिल्ली के गले में घंटी कौन बाँधने जाएगा" वही जो मौत को गले लगाना चाहता हो, अरे भई! अब यहाँ अखाड़े में पहलवान बन कर बड़ी-बड़ी ताल ठोकने वाले हम भी नहीं गये थे घंटी बांधने, उस बिल्ली मौसी की गुर्राहट भी उस समय हमें शेर की दहाड़ जैसी लगती थी.

आश्चर्य की बात तो यह थी की ये पूरे देश में धड़ल्ले से गेर क़ानूनी उत्पाद और कार्य भी सभी राज्य सरकारों और केंद्रीय सरकार की नाक के ठीक नीचे बेच रहा, कर रहा था, कैसे बेच रहे थे, कर रहे थे इसकी SOG से नहीं CID से जाँच होनी चाहिए क्योकि बिना भ्रष्टाचार के ये इस देश में संभव ही नहीं हे. भ्रष्टाचार के विरुद्ध पूरे देश में अलख जगाने वाले श्री अन्ना जी से समर्थन मांगने जंतर-मंतर पर जाने से पहले ये जाने वाले चुल्लू भर पानी में डूब कर मर क्यों नहीं गये? क्योकि एक न एक दिन इनके इस कार्य के कारण लोग, राजनेता उस महापुरुष श्री अन्ना जी पर भी इन भ्रष्टाचारियों को दिए गये समर्थन रूपी इस दाग पर अंगुली उठा सकते हे. 

इनके द्वारा किये जा रहे इस तरह के कुछ गेर क़ानूनी सामानों और कार्यों की बानगी तो नीचे देखिये :-

* बिना ISI मार्के का बिजली का किसी भी तरह का सामान बनाना, भंडारण करना, बेचना गेर क़ानूनी हे. (जैसे की पंखे, पावर सेवर, आर ओ, इनवर्टर, बेटरी, मिक्सी आदि)

* पैक्ड या डिब्बाबंद कोई भी खाद्य पदार्थ सामान बिना एगमार्क और FPO लाइसेंस के बनाना, भंडारण करना, बेचना गेर क़ानूनी हे. (इसमें इनके सामानों की इतनी लम्बी लिस्ट हे की कई पेज भर जायेंगे)

* कास्मेटिक्स सामान जिनमे हानिकारक केमिकल की मात्रा होती हे वे बिना किसी सरकार द्वारा प्रमाणित प्रयोगशाला से प्रमाण पत्र लिये बिना बनाना, भंडारण करना, बेचना गेर क़ानूनी हे. (इसमें हजारो तरह के उत्पाद आते हे.)

* बिना लाइसेंस के कीटनाशक और उर्वरक खाद उत्पाद बनाना, भंडारण करना, बेचना गेर क़ानूनी हे. (कंपनी, PUC और DISTRIBUTOR जो की लाखो का एसा सामान वार्षिक बेच रहे थे.)

* बिना लाइसेंस लिये मेडिसिन उत्पाद बनाना, भंडारण करना, बेचना गेर क़ानूनी हे. (कंपनी, PUC और DISTRIBUTOR जो की लाखो का एसा सामान वार्षिक बेच रहे थे.)

* बिना TIN नंबर की PUC और DISTRIBUTOR जो की लाखो का सामान वार्षिक बेच रहे थे को सामान सप्लाई करना और उनके द्वारा भण्डारण करना व् वापस आगे बेचना गेर क़ानूनी हे. (वापस विक्रय पर देय टेक्स जमा नहीं कराना कालाधन बनाने जैसा हे)

* बिना फ़ूड लाइसेंस वाली PUC और DISTRIBUTOR जो की लाखो का सामान वार्षिक बेच रहे थे को सामान सप्लाई करना और उनके द्वारा भण्डारण करना व् वापस आगे बेचना गेर क़ानूनी हे.

* बिना कंपनी की रसीद दिए 150/- में बेंक में खाता खोलने के करोडो फॉर्म बेचना और वो रुपये उपभोक्ता के बेंक एकाउंट बेलेंस में नहीं देना गेर क़ानूनी हे. (कालाधन बनाने जैसा हे)

* हर माह कंपनी द्वारा रखी गयी मीटिंगों में लाखों की तादात में टिकट बेच कर प्राप्त कलेक्शन पर सर्विस टेक्स नहीं चुकाना गेर क़ानूनी हे. (कालाधन बनाने जैसा हे)

* PUC या DISTRIBUTOR से प्राप्त एडवांस या सिक्योरिटी राशि जिसे लम्बे समय तक कंपनी अपने पास रखती हे और उस राशी पर खुद ब्याज प्राप्त करती हे तो उस पर प्रचलित कम से कम दर पर भी ब्याज नहीं देना गेर क़ानूनी हे. (कालाधन बनाने जैसा हे)

* आम लोगो को विदेशी सामान का बहिष्कार करने का कह कर खुद विदेशी सामान यहाँ बेचना गेर कानूनी हे.

* बिना अपनी कंपनी का IRDA से रजिस्ट्रेशन कराये अपनी कंपनी के दस्तावेजो से बीमा प्रस्ताव नागरिकों से करना व् बेचना गेर कानूनी हे.

* किसी भी सामान्य या कोरपोरेट बीमा एजेंट या IRDA से प्रमाणित बीमा कंपनी के द्वारा बीमा उत्पाद के प्रस्ताव को किसी भी तरह का लालच दे कर, जैसे लोटरी-कमीशन आदि का बेचना गेर कानूनी हे.

* कम से कम कोई निश्चित राशि का सामान प्रति माह खरीदने और उसमे पोइन्तो पर कमीशन व् लोटरी देने की शर्त, लालच के साथ बिना IRDA से लाइसेंस ले कर खुद अपने स्तर पर दुर्घटना बीमा करना या करवाना गेर कानूनी हे.

* किसी कोर्पोरेट IRDA से प्रमाणित बीमा कंपनी एजेंट से अपने सदस्यों के लिए ग्रुप बीमा ले कर सदस्यों को हर माह निश्चित कम से कम राशि का सामान खरीदने पर ही उसका लाभ देना लालच देने जैसा ही हे जो कि गैर क़ानूनी हे.


* सदस्य को विक्रय किये जा रहे सामान के बिल में कितनी राशी दुर्घटना बीमा के मद में काटी जा रही हे स्पष्ट नहीं बताना गैर क़ानूनी हे.

* 5 लाख वार्षिक से कम सामान बेचने वाली PUC या DISTRIBUTOR द्वारा VAT कमपोंस्टेशन प्रमाण पत्र SALE TAX डिपार्टमेंट से लिए बिना सामान बेचना गेर क़ानूनी हे. (कालाधन बनाने जैसा हे)

*  Distrbutaro द्वारा अपने स्वय के घरेलू उपयोग के अलावा कोई भी सामान बिना स्थानीय पंचायत, नगरपालिका, निगम में पंजीयन कराये एव आवश्यक प्रमाणपत्र लिए बेचने का कार्य करना गेर क़ानूनी हे. (कालाधन बनाने जैसा हे)


RCM द्वारा देशी-विदेशी सामान के मुद्दे पर आम जन को भरमा कर ठगी :-

आर सी एम् की लगभग हर मीटिंग में लीडरो, संचालको के द्वारा लोगो, आम जन को हमारे देश में कार्य कर रही बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उपभोक्ता सामान को विदेशी सामान बता कर उनका बहिष्कार करने और RCM के सामान को पूर्ण देशी सामान बता कर खरीदने के लिए भरमा कर ठगी का कार्य किया जाता था.

इस देशी-विदेशी के मुद्दे पर हमें पहले कुछ सामान्य जानकारी, बाते समझनी होगी.

* आज व्यापारिक और ज्ञान के तौर पर दुनिया के सभी देश एक प्लेटफोर्म पर आ गए हे.

* आप दुसरे देशो को सिर्फ निर्यात ही करेंगे उनसे वापस कुछ भी आयात नहीं करेंगे यह अर्थशास्त्र के प्राकतिक नियमो, धन के प्रवाह के विरुद्ध हे, और दुनियाँ में एसा कोई एक देश भी नहीं होगा जो आपसे इस तरह के एकतरफा व्यापार की उम्मीद रखेगा कि आप तो उसे अपने यहाँ का सामान, सर्विस बेचते रहे उस बेचारे देश से वापस कुछ भी नहीं ख़रीदे.
* हमारे देश में प्रजातांत्रिक प्रणाली हे और संसद, विधानसभा  द्वारा बनाए गए कोई भी कानून, संशोधन बहुमत होने पर ही पास होता हे, लागू होता हे और संसद, विधानसभा में सांसदों, विधायकों को आम जनता चुन कर भेजती हे, यानि कानून जनता द्वारा ही बनाया गया व् जनहित के लिए होता हे.

* ये जिन कंपनियों के नाम गिनाते नहीं थकते थे वे असल में हमारे देश में फेक्ट्री लगा कर हमारे कानून के अनुसार चलती हे न कि उनके अपने देश के कानून के अनुसार और उन्हें हमारे नियम-अधिनियमों के अनुसार जरुरी सभी पंजीयन, लाइसेंस लेने होते हे, यहाँ रोजगार देना होता हे व् अधिकांश उनकी आय का हिस्सा इस देश में ही नियोग करना होता हे अन्यथा उन पर कार्यवाही होती हे और दंड दिया जाता हे.

* किसी देश की विशेष भोगोलिक स्थति, प्राक्रतिक संसाधनों कि उपलब्धता, ज्ञान-अविष्कार आदि का वितरण उस देश में ही सिमित नहीं रह कर यदि सम्पूर्ण दुनिया में होता हे तो इससे दुनिया के हर नागरिक का भला ही होता हे उसका जीवन स्तर उंचा उठता हे और उसे प्रतिस्पर्धा के कारण उत्पाद उच्च क्वालिटी के वाजिब दर पर मिलते हे. अगर आपको जमाने के साथ चलना हे तो जो अब आवश्यक हो गयी चीज जिसे आप अभी वर्तमान में बना नहीं सकते या उसकी टेक्नोलोजी कोपीराइट संपदा के तौर पर किसी विदेश में रजिस्टर्ड हे तो आपको उसे विदेश से आयात करना ही होगा नहीं तो आप तेजी से विकसित होती दुनियाँ में पिछड़ जायेंगे.
इस सन्दर्भ में एक छोटा सा उदाहरण यहाँ देना चाहूँगा कि श्री राजीव गाँधी अति दूरदर्शी प्रधानमंत्री थे और वे विदेश से इस देश में कम्पूटर क्रांति लाना चाहते थे. उनके इस प्रस्ताव का कई राजनेतिक दलों, बेंक कर्मचारियों ने घोर विरोध किया, इससे करोड़ों लोग बेरोजगार हो जायेंगे, विदेशियों का यहाँ राज हो जाएगा और न जाने क्या-क्या बाते कही गयी. लेकिन वे धुन के पक्के थे अंत इसे यहाँ लाये, और आज कम्पुटर की क्या उपयोगिता हमारे जीवन में हे बच्चा-बच्चा जानता हे, और यही बात अब मोबाईल के सन्दर्भ में भी कही जा सकती हे.

* अब जो लोग, कंपनियाँ इस प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाती, उत्पादों को स्टेंडर्ड के अनुसार बना नहीं पाती, उपभोक्ताओं को स्तरीय सेवाए दे नहीं पाती वे अपने घटिया उत्पादों को भी महंगे दामो में बेचने के लिए संकीर्ण मानसिकता वाले जन का उपयोग करती हे, उनकी भावनाओ को देश प्रेम का हवाला दे कर गुमराह करती हे, अपने लाभ के लिए षड्यंत्र कर के आन्दोलन करवाती हे, खुद पीछे रह कर लोगो को मरवाती हे, धर्म का सहारा अपने लाभ के लिए लेती हे. खुद गुड़ खाती हे और लोगो को गुलगुलों से परहेज करने का कहती हे, खुद अपने घर में ब्रांडेड सामान, विदेशी सामान लाती हे लोगो को अपना घटिया सामान MLM के जाल में  फाँस कर बेचती, ठगती  हे.

* दोस्तों, MLM सिस्टम गलत नहीं हे लेकिन इन कुछ भारतीय कंपनियों ने अपने खुद को और खुद के परिवार को असीम लाभ हो जाए इसके लिए प्लान को गलत तरीके से बना रखा हे, प्लान पर किसी नियम-अधिनियम का कानूनी कंट्रोल नहीं हे, और खुद अति लाभ पाने की चाह में आम जन को बेतुकी शर्तो में बांध कर हर तरह से ठग, लुट रही हे. बात-बात में अमेरिका में 70% MLM सिस्टम से सामानों का विक्रय होता हे का उदाहरण देते नहीं थकने वाली RCM अपने एक प्रतिशत उत्पाद को भी वहां के उपभोक्ताओं के लिए तय किये गए स्टेंडर्ड, मानदंडो के अनुरूप पास करा के बताये तो जानू.


RCM द्वारा "लोयलटी बोनस" प्लान में "अंधा रेवड़ी बाँट रहा हे" जैसी बात फेला कर उत्पादों की जबरदस्त बिक्री और अग्रिम राशि प्राप्त कर के ठगी की गयी :-

टी. सी. जी. ने बड़ी ही चालाकी से जो सामानों की BV पर 41% का चक्रव्यू, 8 तरह की स्लेबे, लीडर शिप बोनस, लोयलटी बोनस, लोटरी ड्रा, बीमा, जोइनिंग, पीयुसी की बिना ब्याज की एडवांस जमाये और कई तरह की शर्तो, उच्च लाभ, कमीशन पाने वालो की आई डी टर्मिनेशन, आदि के साथ रचा उसमे हकीकत में कंपनी अपने प्रोडक्ट के प्रोफिट में से एक पैसा भी नहीं बाँट रही थी. बांटा जा रहा सारा पैसा हमारा अपना ही था और वो सिर्फ मनी सर्कुलेशन कर रहे थे जो कि पूरा ही ठगी और गेर कानूनी कार्य हे.

यह बात इनके जाँच में मिली कंपनी की बेलेंस शीट से साबित होती हे कि सब तरह के कंपनी के खर्चो का जोड़ करीब 750 करोड़ रुपये था और कंपनी कि आय करीब 1400 करोड़ वार्षिक थी. यह बात आप किसी भी सी. ऐ. क्या साधारण एकाउन्तेन्त को बता के भी पूछ सकते हे की कंपनी वास्तव में किनका पैसा बाँट रही थी.

यह तो अभी के आंकड़े हे याद करे, सोचे कि उस वर्ष कंपनी ने कितना धन बटोरा होगा जब "लोयलटी बोनस" के लूटमार प्लान से ये ज्यादा से ज्यादा लोगो को ठग सके इसके लिए इन्होने उत्पाद उपलब्ध नहीं होने पर एडवांस बुकिंग का फंडा निकाला था, लोग टूट पड़े थे, लाइन लगा कर एसे-ऐसे सामान एडवांस बुक करा रहे थे कि कई दूसरी कंपनी वाले चक्कर में पड़ गए कि यह क्या हो रहा हे, कंही कोई अंधा रेवड़ी बाँट रहा हे क्या?.

ऐसे कुछ लोकल सामानों पर गोर फरमाते हे :- 

१. 3500 की लागत का  RO 13500 में बुक किया गया, व् बेचा गया. (पूरे देश में लाखों की तादात में बुकिंगे की गयी, बाद में इनमे से 90% 6 माह भी नहीं चल पाए)

२. 100 की लागत का पावर सेवर 1000 में बुक किया गया व् बेचा गया. (पूरे देश में लाखों की तादात में बुकिंगे की गयी, पावर सेव करने का इनका दावा एक भी प्रयोगशाला में प्रमाणित नहीं हो पाया.)

३. 600 की लागत की सूरत की साड़ी को प्रसिद्ध अभिनेत्री के नाम को भुना कर 2500 में बुक किया गया व् बेचा गया. (पूरे देश में लाखों की तादात में बुकिंगे की गयी, जिस साड़ी को एश्वर्या ने कभी नहीं पहना था.)

४. 5000 की लागत की घटिया बेटरी को 10000 में बेचा गया, बुक किया गया. (पूरे देश में लाखों की तादात में बुकिंगे की गयी, EXIDE के समकक्ष कही जाने वाली बेटरी सिर्फ 6 माह भी नहीं चल पाई, कइयो का पेट फूल गया, कई बम की तरह फट पड़ी)

५. 2500 की लागत का इनवर्टर 6500 में बेचा व् बुक किया गया. (पूरे देश में लाखों की तादात में बुकिंगे की गयी, बेचे गए. वीनस ब्रांड से भी टेक्नोलोजी में आगे कहे गाने वाले की सांसे दो माह में ही उखड गयी.)

६. 200 की लागत की खाद बेचारे किसानो को जबरदस्ती 2000 (काफी दिनों तक 3000 में) में बेचीं गयी (600 Gram only) व् बुक की गई. (पूरे देश में लाखों की तादात में बुकिंगे की गयी, बेचीं गयी)

७. 400 की लागत की कीटनाशक दवा 4000 में बुक की गयी व् बेचीं गयी. (पूरे देश में लाखों की तादात में बुकिंगे की गयी, बेचीं गयी)

८. 1200 की लोकल दिल्ली मेड मिक्स्सी 3500 में बेचीं गयी, बुक की गयी. (पूरे देश में लाखों की तादात में बुकिंगे की गयी, बेचीं गयी)

९. 50 की लागत की घड़ी 500 में और 100 वाली 900 में बेचीं गयी और बुक की गयी. (पूरे देश में लाखों की तादात में बुकिंगे की गयी, बेचीं गयी)

१०. 150-200 की लागत के आगरा-दिल्ली के जूते 750-999 में बेचे गए व् बुक किये गए. (पूरे देश में लाखों की तादात में बुकिंगे की गयी, बेचे गए)

११. 35-40 थोक मंडी भाव की "आखे मूंग" (दाल नहीं) 100 रुपये प्रति किलो के भाव से बेचे गए. (पूरे देश में हजारो क्विंटल सप्लाई किया गया) अपने आप को गरीबों का मसीहा बताने वाला गरीबों की इस प्रिय चीज में भी ठगी करने से नहीं चुका. फिर भी लीडरों को "दाल में काला हे" नहीं दिखाई दे रहा हे, कमीशन के लोभ ने इनको अंधा, बहरा, गूंगा, ही नहीं लूला, लंगडा भी कर दिया हे.
१२ से १०० तक की लिस्ट आगे जारी होगी.............देखते रहिये : www.rcmmanch.blogspot.com


RCM कंपनी शुरू से ही अपने सक्रीय सदस्यों की मनघडंत, फर्जी विशाल संख्या बता कर नए लोगो की जोइनिंगे ले कर ठग रही थी :-

दोस्तों, मनुष्य के स्वभाव की एक कमजोरी हे कि वह जहां ज्यादा लोग किसी कार्य या विचार से सहमत होते हे वहां वह अपने स्वयं के विवेक से निर्णय करने की बजाय लोगो की विशाल संख्या के विचार या कार्य से प्रभावित हो कर  उनके पक्ष में अपना निर्णय करता हे.

मनुष्य की इसी स्वाभाविक कमजोरी का श्री 420 टी सी जी ने भरपूर फायदा कंपनी के शुरूआती दिनों से ले कर बंद होने के कगार पर पहुँचने तक सक्रीय सदस्यों की गलत संख्या बता कर यानि की झूट बोल-बोल कर उठाया. लीडर लोग अपनी हर मीटिंग में पहले भी इस झुटी संख्या को जोर दे दे कर हाई लाईट करते थे और अब भी मीडिया, सरकार, न्यायपालिका, आम जनता को बेवकूफ बनाने से बाज नहीं आ रहे हे, इनके द्वारा कही जा रही एक करोड़ पचास लाख RCM सक्रीय सदस्यों की संख्या पूरी तरह से बकवास हे, झूट का पुलिंदा हे, हवाई किला हे. हकीकत में इस संख्या का 5% भी सक्रीय सदस्य नहीं हे और १% सदस्यों को भी आय नहीं हो रही हे 99% सदस्य जोइनिंग लेने के बाद आखिर में अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हे.

एक छोटा सा उदाहरण पेश हे :-

दिल्ली के चोर बाजार या हाट बाजार में चतुर ठग व्यापारी 200 का माल 100 में चिल्ला-चिल्ला कर बेच रहा होता हे और उसके ठेले के चारों तरफ 5-10 जनों की भीड़ इक्कठा हुई हुवी होती हे और उनमे से कई जने 100/- दे कर वह माल खरीद रहे होते हे, ऐसे में भीड़ देख कर और उनको खरीददारी करते देख कर और कंही सारा माल समाप्त नहीं हो जाए बाजार में आये इस गोरखधंधे से अनजान कुछ लोग भी 100 दे कर सामान खरीद कर खुद को होशियार ग्राहक समझते हुए अपने घर को चले जाते हे.

अब देखने में तो यह बड़ी सामान्य सी बाजारों में होने वाली रोजमर्रा की बात हे लेकिन इस तरह की दुकानदारी में वास्तविकता यह थी कि वे पहले से खरीददारी कर रहे 5-10 जनों की भीड़ फर्जी थी, वे उस ठग गिरोह के ही सदस्य थे और उनकी देखा-देखी अन्य लोगो ने 50/- की वास्तविक कीमत के सामान के 100/- दे दिए इस तरह उन्हें ठगों के सरदार और गिरोह के द्वारा बड़ी ही योजनाबद्ध तरीके से ठगा गया.

ठीक इसी तरह RCM में भी कंपनी और लीडरों (सरदार और गिरोह) के द्वारा सदस्यों की फर्जी संख्या व मासिक बिक्री के फर्जी आकडे बता कर शुरू से ही ठगी का कार्य बदस्तूर चालु था.

शुरू से ऐसे कि सदस्य संख्या आई डी 1 नंबर से शरु करने की बजाय टी सी जी ने जानबूझ कर चालाकी से 10001 से शरु की और शरुआती मीटिंगों में लोगो को यह बताया गया कि कंपनी में दस हजार से अधिक लोग जोइनिंग ले चुके हे जबकि वास्तविकता यह थी कि 31 अगस्त 2000 को एक साथ कुछ लोगो की जोइनिंग की गयी जिनमे से ज्यादातर टी सी जी के परिवार के सदस्य और मित्र आदि ही थे जिनमे से प्रमुख श्री मुकेश कोठारी का डिस्ट्रीब्यूटर नंबर 10009 था जो की वास्तव में 9 नंबर ही था, दस हजार की संख्या तो हाथी के दिखावे के लम्बे दांतों की तरहा ही थी.

यहाँ में एक बात और बताना चाहूँगा की टी सी जी शरुआत से ही कितने घाघ व्यक्ति थे, वो यह कि उन्होंने अपने कम्पूटर सिस्टम में छेड़खानी कर के करीब एक माह के समय में जो तारीख वाइज पहले फार्म जमा हुए थे उनको "पहले आओ पहले पाओ" के सिद्धांत की जगह अपनी मनमर्जी से कई दिनों तक एक ही तारीख कम्पूटर में सेट कर के खुद को, परिवार को, ख़ास मित्रो को बाद में अधिक से अधिक फायदा हो उस हिसाब से ट्री में ऊपर-नीचे कर के जमाया. यह बात इससे भी पुख्ता होती हे कि उस समय ऑन लाइन  इंटरनेट सिस्टम नहीं था और एक ही 286 टाइप के बहुत ही धीमी गति के कम्पूटर पर कैसे एक ही दिन 31 अगस्त 2000 की तारीख में करीब 400 सदस्यों के फार्म की पूरी की पूरी डाटा बेस टाइप कर के लोड की गयी? जो की असंभव हे.

बाद में भी टी सी जी ने सेकड़ो बार भगवान् के द्वारा बनाए गए प्राकतिक समय चक्र की घड़ी की सुइयों को अपने और अपने परिवार के फायदे के लिए उलटा घुमाया था, दिन को रात और रात को दिन, नए  माह की 1, 2, 3 तारीख को पुराने माह की 30 तारीख पर ही रोके रखना तो जेसे उनके बायें हाथ का खेल था, आखिर वे कलयुग के अवतार थे, इस स्रश्ठी की रचना करने वाले  भगवान् से भी बड़े जो थे, लीडरो के साथ-साथ समय को भी उन्होंने अपने हाथो की कठपुतली बना रखा था, समय अपने नहीं उनके हिसाब से चलता था.

अब इनके द्वारा कंपनी के बंद होने तक और अभी तक चिल्ला-चिल्ला कर कही जा रही करीब एक करोड़ पचास लाख RCM सक्रीय सदस्यों की संख्या और मासिक 1000 करोड़ रुपयों से भी अधिक के कुल टर्न ओवर  का सच जानते हे. इसके लिए हमें नीचे दी गयी कंपनी ही की  कुछ बातो, आकड़ो पर गहराई से गौर करना होगा.

* जैसा कि आप सभी जानते हे कंपनी अपने अंतिम तौर पर चेंज किये गये  "लोयलटी बोनस" ड्रा प्लान में पुरे देश में विक्रय हुए सामान के कुल मासिक बिजनस वोल्यूम BV का 1% फंड प्रथम पुरस्कार 11000/- रुपये के ड्रा के लिए रखती थी.

* कम्पनी के तत्कालीन बिजनस प्लान अनुसार हर सदस्य (डिस्ट्रीब्यूटर) को हर माह कम से कम 1000/- रुपये की सेलिंग प्राइज का सामान खरीदना अनिवार्य था तभी वह सक्रीय डिस्ट्रीब्यूटर कहलाता और सभी तरह के कंपनी से मिलने वाले लाभों का हकदार होता.

* 1000/- रुपये की सेलिंग प्राइज के सामान की औसत BV 600/- रुपये के करीब होती थी यानि कि सामान की मूल कीमत का 60% .

* कंपनी बंद होने के एक माह पूर्व माह अक्टुबर 2011 के "लोयलटी बोनस" ड्रा जो की माह नवम्बर 2011 के प्रथम सप्ताह में निकाला गया, में प्रथम पुरस्कार 11000/- रुपये प्राप्त करने वाले सदस्यों की पूरे देश भर की कुल संख्या केवल 338 थी. (हमारे पास प्रथम से ले कर अंतिम तक की सारी लिस्टे पड़ी हे)

* अन्तह कंपनी का कुल मासिक बिजनस वोल्यूम BV का 1% की राशी 338 X 11000 = 37,18,000/- रुपये (अक्षरे सेतिस लाख अठारह हजार केवल) थी.

* अन्तह जब कंपनी का कुल मासिक बिजनस वोल्यूम BV की  1%  राशी का योग  37,18,000/- रुपये होता हे तो कंपनी की कुल मासिक BV 100% राशी का योग होगा  37,18,000 X 100 = 37,18,00,000/- रुपये (अक्षरे सेतिस करोड़ अठारह लाख केवल)

* अब जब एक सदस्य की मासिक खरीद पर औसत BV 600/- रुपये करीब होती हे तो कंपनी के देश भर में फैले कुल सक्रीय सदस्यों (डिस्ट्रीब्यूटर) की संख्या हुई  37,18,00,000 / 600 = 6,19,667 **( छह लाख उन्नीस हजार छह सौ सडसठ )

* कुल मासिक विक्रय हुए सामान की 60% BV का योग जब  37,18,00,000  रुपये होता हे तो मासिक विक्रय हुए कुल सामान की मूल कीमत यानि की कंपनी का मासिक टर्न ओवर होगा 371800000 / 60 X 100  =  61,96,66,667 (अक्षरे इकसठ करोड़ छियानवे लाख छासठ हजार छह सौ सडसठ)

उपरोक्त गणित कोई बहुत कठिन गणित नहीं हे जो किसी 'सी ऐ' की जरुरत पड़े, किसी भी स्कूल की पांचवी क्लास में पढ़ रहा बच्चा भी कंपनी के स्वंय के दिए आंकड़ो के आधार पर दूध का दूध, पानी का पानी कर देगा.

दोस्तों, इस तरह कंपनी और लीडरो के द्वारा बार-बार कही जा रही RCM में एक करोड़ पचास लाख RCM सक्रीय सदस्यों की संख्या और कंपनी का मासिक 1000 करोड़ रुपयों से भी अधिक के कुल टर्न ओवर का यदि कंपनी के खुद के द्वारा ऑफिशियली जारी आंकड़ो से तुलना की जाए तो पूरी तरह से फर्जी हे, मनघडंत हे, झूट का पुलिंदा हे, केवल हवाई किला हे.

 हकीकत में इस संख्या का 5%  (7,50,000 सात लाख पचास हजार) भी सक्रीय सदस्य नहीं हे और इनमे से केवल 1% सदस्यों को भी आय नहीं हो रही थी जो की "ऊंट के मुह में जीरे के सामान हे" 99% सदस्य हर माह कंपनी के द्वारा ठगे जा रहे थे. और बताया जा रहा कुल मासिक टर्न ओवर का हकीकत में करीब 6% ही मासिक टर्न ओवर हे. अंत कंपनी की मीटिंगों में और अब सरकार को दिए गए ज्ञापनो में जो संख्या व टर्न ओवर बताया गया हे वह आटे में नमक जितना झूट नहीं पूरा का पूरा ही नमक हे यानि की सफ़ेद झूट हे.


** 6,19,667 ( छह लाख उन्नीस हजार छह सौ सडसठ ) पूरे देश में RCM के कुल सक्रीय डिस्ट्रीब्यूटर की यह संख्या तब और भी कम हो जाती हे (i) यदि हर लीडर, पिन अचीवर द्वारा हर माह खरीदा जाना जरुरी 750-1500 BV का सामान को भी ध्यान में रख कर गणना की जाए. (ii) लोयलटी बोनस प्लान के अलावा भी कंपनी कोई विशेष प्रोडक्ट की ज्यादा खरीद पर सेल्स प्रमोशन स्कीम ड्रा भी चलाती थी जिसके झांसे में आ कर कई डिस्ट्रीब्यूटर अकेले ही उस माह हजारों-लाखों BV का वह सामान विशेष खरीद लेते थे. जेसे माह अक्टुबर 2011 में  मर्दानगी ताकत बढाने की गोलियों के 200 पेकेट खरीदने पर विशेष प्रोत्साहन ड्रा में शामिल करना. (सीधे तौर पर बिना सेल्स टेक्स नंबर लिए डिस्ट्रीब्यूटर (फर्जी केवल नाम के एजेंट) द्वारा इस तरह से सामानों का विक्रय करना गेर कानूनी हे क्योकि डिस्ट्रीब्यूटर तो वापस कोई बिल, इन्वोइस नहीं बना सकता था, लेकिन इस तरह का कार्य अपराध हे यह बात इतना बड़ा व्यापारी टी सी जी क्या नहीं जानता था? जानते बुझते उन्होंने लाखों लोगो को गेर कानूनी कार्यों में धकेला)


RCM "ठग ब्रदर्स एण्ड सन्स कम्पनी" के द्वारा MLM इतिहास के पहले नए आविष्कार से ठगी :-

"ठग ब्रदर्स एण्ड सन्स कम्पनी" के करता-धरता  जब "लोयलटी बोनस" के लूटमार प्लान से ज्यादा से ज्यादा लोगो को ठग चुके थे, अपना पूरा आउट ऑफ़ डेटेड ओवर स्टॉक सेल कर चुके थे, उसके बाद भी रही सही कसर इन्होने उत्पाद उपलब्ध नहीं होने पर एडवांस बुकिंग का नया ठगी का फंडा निकाल कर पूरी की.
इतना सब कुछ करने के बाद भी इस "ठग ब्रदर्स एण्ड सन्स कम्पनी" के करता-धर्ताओ की लालच की लालसा पूरी नहीं हुई, लोभ की भूख नहीं मिट पायी, इस भूख को मिटाने के लिए इन्होने डायरेक्ट सेलिंग के सारे सिद्धांत, नियम, कायदे-कानून भुला कर एक एसा सिस्टम इजाद, आविष्कार किया कि बिना किसी भी तरह का सामान फिजिकली ख़रीदे या सामान की एडवांस बुकिंग कराये जिसकी कि भविष्य में सदस्य को डिलीवरी लेनी पड़ती हे, भी सदस्य "लोयलटी बोनस" के प्लान में चाहे जितनी भी (अधिकतम की कोई सीमा नहीं) आई डी देश के किसी भी हिस्से में बेठा ले सकता था.

जी हाँ दोस्तों, आज न्यायपालिका (हाईकोर्ट) एवं कार्यपालिका (विधायक, विधानसभा, सांसद, संसद) और इस देश की जनता जनार्दन व् मीडिया के सामने अपने आप को बेकसूर बताते हुए घड़ियाली आंसुओ की रो-रो कर नदियाँ बहाने वाले RCM के करता-धरता और लीडर यह कहते नहीं थकते कि वो तो सामान की उपभोक्ताओं को उनके स्वयं* के व् परिवार* के उपभोग के लिए डायरेक्ट सेलिंग कर रहे थे यानि कि एक हाथ से पैसा ले कर दुसरे हाथ से तुरंत सामान दे रहे थे या दिये जाने वाले सामान की एडवांस बुकिंग कर रहे थे तो इसमें चिट-फंड, मनी रोटेशन केसे हे? 
*  पुरुषो की मर्दानगी ताकत बढाने और स्त्रियों की कामेक्छा बढाने की गोलियों के तीन माह में  200 पेकेट खरीदने पर विशेष पुरस्कार देने की घोषणा दुनिया के सबसे बड़े लोभी मर्द और उसकी लोभेक्छा के काम में चूर कंपनी ने की थी, साथियों एक पेकेट एक व्यक्ति या स्त्री के लिए हर माह होता हे तो 200 पेकेट जिसका की विक्रय मूल्य करीब 60000.00 रुपये होता हे क्या कोई सदस्य अपने स्वयं और परिवार के लिए लेगा? कदापि नहीं, तो फिर क्या इतना सामान उसके द्वारा बिना किसी तरह का मेडिकल  लाइसेंस, TIN नंबर लिए बेचना कानून सम्मत हे? नहीं, नहीं, नहीं लेकिन इस तरह का गोरखधंधा इस कंपनी में शरु से ही चल रहा था, करोडो क्या अरबों रुपयों का सरकारी टेक्स की चपत इस तरह से इस कंपनी ने सरकार को अपने स्वार्थ के लिए लगाईं और अपने इन सारे गेर कानूनी कारनामों को ये बेशर्म अभी भी सही ठहराने पर तुले हे, भोली आम जनता को गुमराह कर रहे हे, सरकार के विरोध में भड़का रहे हे.

खेर साथियों हम वापस इस पोस्ट की मूल बात पर आते हे. हर चालाक से चालाक ठग और चतुर से चतुर चोर भी कुछ न कुछ उतावलेपन में या ठगी के प्लान की बिसात बिछाते समय कहीं न कहीं कोई गलती कर बैठता हे जो उसे सीखचों के पीछे ले जाने के लिए काफी होती हे, ऐसी ही एक बहुत बड़ी गलती "ठग ब्रदर्स एण्ड सन्स कम्पनी" के करता-धर्ताओ ने कर दी थी. हालांकि इनका पूरा का पूरा "लोयलटी बोनस" प्लान सदस्यों से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट इन्वेस्टमेंट करा के चिट-फंड, मनी रोटेशन ही था फिर भी इसमे सामान तो दिया जा रहा था भले ही उसकी बाजार में कीमत रुपये में पच्चीस पैसे ही हो, लेकिन आप उस परदे के पीछे अन्दर ही अन्दर खेले जा रहे प्लान को क्या कहेंगे जिसमे कि सदस्य से सीधे पैसा ले कर, जमा कर के कंपनी स्तर पर बिना किसी तरह की कीमत का फिजिकली सामान उस पैसा देने वाले, जमा कराने वाले सदस्य को दिये या देने का वादा किये उसके RCM में बने "लोयलटी बोनस" प्लान एकाउंट में आई डीयें डाल दी गयी?

आगे जारी ................देखते रहिये..............


* (आगे जारी हे...... देखते रहिये)

इस पेज में और भी कई बातें शीघ्र ही उजागर की जाएगी अन्तह इसे देखते रहिये

4 comments:

  1. Jab Tak Murkh Maujud Hai Tagon Ka Dhanda Manda Nahi Hoga.Isme Thagne Wale Ka Nahi Apne Ko Thage Jane Ka mauka Dene Wale Ka Dosh Hai.Ab Bhi sapne Dekhna Band Karke Loyalty ke Paymemt Ke Liya Leader Aur Co. Par Police Karyawahi suru Karo

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्छी पोस्ट है

    ReplyDelete