यह एक निष्पक्ष आरसीएम मंच ब्लॉग हे जहाँ RCM से लाभार्थी और पीड़ित दोनो ही पक्ष अपनी बात खुल के बोल सकते हें और एक दूसरे की टिप्पणियों का माकूल जवाब दे सकते हें. इस ब्लॉग की ज़रूरत इसलिये पड़ी क्योकि वर्तमान में नेट पर उपलब्ध अन्य सभी ब्लॉग एक साजिश के तहत RCM के पक्ष की ही बात को अपने ब्लॉग पर रख रहें हें, इनमें से कई अवसरवादियों ने तो हमारी मजबूरी से कमाई करने का ज़रिया लुभावने गूगल एडसेंस, विजापनों आदि को अपने ब्लॉग, साइट पर दे कर बना लिया हे और हमारे हर क्लिक पर वे 25/- से 100/- रूपए कमा रहें हें, अन्तह वे निष्पक्ष नहीं हे, जिससे आख़िर RCM का सच, हक़ीकत क्या हे आम जनता या डिसट्रिब्युटर नहीं जान पा रहा हे, इसी सच को सामने लाने का हमारा यह छोटा सा प्रयास हे, आप RCM से मिले अपने सच्चे अनुभव, जानकारी को पूरे देश को सारगर्भित भाषा में बताएँगे. ध्यान रहे कि इस प्लेटफोर्म पर आपके कमेन्ट बे-बुनियाद हो और अपने कमेन्ट के लिए आप स्वंय जिम्मेवार होंगे, इस ब्लॉग का आर सी एम् कंपनी, मालिको, लीडरों आदि से कोई संबध नहीं हे. धन्यवाद.

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Monday 23 April 2012

"13 मई को भीलवाड़ा चलो" वाली बात में एक दो ही नहीं चार-चार फाड़ हो गए हे

एक तरफ देव (सरकार), तो एक ओर दानव (RCM लीडर) हे,
कभी ये खीचे कभी वो खिचे, बेहाल नागराज (सक्रिय डिस्ट्रीब्यूटर) हे!
गिरिराज (टी सी) का तो कुछ नही बिगड़ेगा, जमीं-जायदाद बेहिसाब हे,
समुद्र (देश) मंथन में मर रहे हे समुद्री जीव-जंतु (आम डिस्ट्रीब्यूटर), अम्रत पान (कमाई) भगवान् (पुलिस, वकील) कर रहे हे.

"13 मई को भीलवाड़ा चलो"  वाली बात में एक दो ही नहीं चार-चार फाड़ हो गए हे, लीडरो की आपस में रस्साकशी चल रही हे, इस रस्साकस्सी में असली डिस्ट्रीब्यूटर की हालत समुद्र मंथन में जेसी शेषनाग की हुई वेसी हो रही हे, अम्रत तो मिलेगा या नहीं फिलहाल छोटे लीडर और सक्रिय डिस्ट्रीब्यूटर मर रहे हे.

डेढ़ करोड़ डिस्ट्रीब्युटरों में से अब 150 भी वंहा भीलवाड़ा आ जाये तो गनीमत समझना.

ठग कंपनी की ठगी के तरीके सीखने के लिए बनाई गई यूनीवर्सिटी (बिना पंजियन की) के प्रिन्सिपल जैल जाने से पहले अपने शार्गिददो को शायद यह एक और तरह की ठगी का नया तरीका सीखा कर गये हे ताकि शार्गीदौ की रोज़ी रोटी चलती रहे वरना इतने सालों में तो इनको ‘RCM CDWA’ “आरसीएम कंज्यूमस एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स वेलफेयर एसोसिएशन” बनाने की याद नहीं आई जबकि करोड़ो लोग डिस्ट्रीब्यूटर्स बन चुके थे और कई वजहों से परेशां हो रहे थे. अब कुकुरमुत्तो की तरह कई एसोसिएशंस उग आई हे. हकीकत में ये "RCM LWA" यानि “आरसीएम लीडर्स वेलफेयर एसोसिएशन” हे. ये अवसर वादी आम डिस्ट्रीब्यूटर्स के खून-पसीने का आखरी कतरा भी उनसे चंदे के नाम पर पैसा ले कर निचोड़ना चाहते हे. इनको यह नहीं पता कि “काठ की हाँडी बार-बार नहीं चढ़ती”, आम डिस्ट्रीब्यूटर्स अब संभल चुका हे और “दूध का जला छाछ भी फूँक कर पीता हे”.

दोस्तों, हमारे 24 केरेट खरी सच्ची बातों का जवाब देने के लिए इन RCM लीडरों के पास कोई तर्क-वितर्क हे नहीं. ये अति बौखला गए हे इन्हें कोई जवाब नहीं सूझ रहा हे. कहाँ तो जब कंपनी पर रेड पड़ी थी तो इन्होने कहा था 4 दिन में वापस शरु हो जायेगी और कहाँ अब 5  माह बीत रहे हे इन्हें कोई सही दिशा नहीं दिखाई दे रही हे, इनकी उल-जुलूल हरकतों से भीलवाडा, जयपुर, दिल्ली में केवल जग हँसाई ही हो रही हे, अब पोस्टकार्ड अभियान की भी हवा निकल रही हे, लोगो से मिन्नतें करनी पड़ रही हे.

कालेज में थर्ड डिग्री से पास मुकेश भाई गुरु के नक़्शे कदम पर चल कर नित-नए प्रयोग कर रहे हे. आज तक इन गुरु-चेलो ने किसी राह चलते या इनके घर, फेक्ट्री, आफिस आये किसी किस्मत के मारे भिकारी को एक रुपया तक अपनी जेब में से निकाल कर नहीं दिया तो ये किसी महंगे वकील पर खर्चा क्या करेंगे? अच्छा वकील करने की जगह फिर बेचारे डिस्ट्रीब्यूटर को ही बलि का बकरा बना रहें हे. उसे 50 जगह पोस्टकार्ड अपने पैसे से खरीद कर, अपना दिमाग नहीं लगा कर, इनके द्वारा कही गयी बात को लिख कर भेजने को कह रहे हे. 

इससे पहले मुकेश भाई ने इनकी कमर पैदल यात्रा, यज्ञ, धरना, अनशन आदि करा कर तोड़ दी थी. हकीकत यह हे कि भाई के कान तालियों की गडगडाहट को सुनने के लिए पाँच माह से तरस गए हे, लेकिन इन्हें यह नहीं मालूम कि वो तालिये इनके बकवास, बोरियत भरे, टेप रिकोर्द्दर से बार-बार बजने वाला एक ही तरह का भाषण सुनने से नहीं बल्कि 30/- से 300/- चुका कर अन्दर आये शक्श इनके मस्करेपन पर अपने रुपये वसूल करने के लिए बजाते थे.

अब तक ठगी में हिस्सा खाने वालों का बेंक बेलेंस भी खाली हो चला हे और ये अपने आप को RCM का सुसंस्कृत सेवक (गुलाम) कहने वाले गाली-गलोच पर उतर आये हें, क्योकि असली परिश्रम खून-पसीने का तो ये कर नहीं सकते.

इन ठगों की फोटो देखने के लिए विजिट करे :  http://rcmmanch.blogspot.in/2012/04/13.html

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