यह एक निष्पक्ष आरसीएम मंच ब्लॉग हे जहाँ RCM से लाभार्थी और पीड़ित दोनो ही पक्ष अपनी बात खुल के बोल सकते हें और एक दूसरे की टिप्पणियों का माकूल जवाब दे सकते हें. इस ब्लॉग की ज़रूरत इसलिये पड़ी क्योकि वर्तमान में नेट पर उपलब्ध अन्य सभी ब्लॉग एक साजिश के तहत RCM के पक्ष की ही बात को अपने ब्लॉग पर रख रहें हें, इनमें से कई अवसरवादियों ने तो हमारी मजबूरी से कमाई करने का ज़रिया लुभावने गूगल एडसेंस, विजापनों आदि को अपने ब्लॉग, साइट पर दे कर बना लिया हे और हमारे हर क्लिक पर वे 25/- से 100/- रूपए कमा रहें हें, अन्तह वे निष्पक्ष नहीं हे, जिससे आख़िर RCM का सच, हक़ीकत क्या हे आम जनता या डिसट्रिब्युटर नहीं जान पा रहा हे, इसी सच को सामने लाने का हमारा यह छोटा सा प्रयास हे, आप RCM से मिले अपने सच्चे अनुभव, जानकारी को पूरे देश को सारगर्भित भाषा में बताएँगे. ध्यान रहे कि इस प्लेटफोर्म पर आपके कमेन्ट बे-बुनियाद हो और अपने कमेन्ट के लिए आप स्वंय जिम्मेवार होंगे, इस ब्लॉग का आर सी एम् कंपनी, मालिको, लीडरों आदि से कोई संबध नहीं हे. धन्यवाद.

यदि आप RCM में अपने स्वयं के साथ घटित कोई घटना, खबर, सबूत इस ब्लॉग में पोस्ट के तौर पर देना चाहते हो या हमें उसकी जानकारी देना चाहते हो तो उसे ई-मेल पता: rcmmanch@gmail.com पर अपना व शहर का नाम + पिनकोड, मोबाईल नंबर के साथ भेजे जिसे यथासंभव इस ब्लॉग पर यदि आप चाहेंगे तो केवल आपके नाम के साथ पोस्ट के तौर पर स्थान दिया जा सकेगा. आपका नाम, ई-मेल आई डी व मोबाईल नंबर वेलिड व वेरिफाइड होनी चाहिए.


आप नीचे दिए SMS को कॉपी कर के अपने दोस्तों को मोबाइल या फ्री में एक सिम से 200 SMS प्रति दिन way2sms.com या site2sms.com के माध्यम से भी भेज सकते हे.
RCM Ka Sach Jaanane Ke Liye Aaj Hi Visit Kare : www.rcmmanch.blogspot.com Aur Is SMS Ko Apni Puri Down-Leg, Friends Ko FORWARD Kare. Thanks


Thursday 15 March 2012

RCM आरसीएम पीयूसी PUC संचालको का दर्द

दोस्त, हज़ारों RCM पीयूसी बंद हो गयी थी क्यो? RCM पीयूसी वाले बर्बाद हो गये थे, सिर्फ़ वही पीयूसी चल रही थी जिसका धारक अपनी डाउन नेटवर्क बिजनस से हुई कमाई को या अपने पूर्वजों की खून-पसीने से कमाई हुई ज़माँ पूंजी भी पीयूसी में उडेल रहा था क्योंकि इतने कम मार्जिन सिर्फ़ १% से ६% में सभी खर्च निकालने के बाद एक पैसा भी शुद्ध लाभ नहीं हो रहा था हक़ीकत में पीयूसी संचालक को टीसीजी ने लीडरों के माध्यम से बड़ी ही सफाई से बेगारी मजदूर बना रखा था एसा मजदूर जो
टीसीजी के लिये बिना वेतन, मज़दूरी लिए रात दिन काम भी करें, पूंजी भी लगाएँ और लाभ नहीं होने पर भी चू तक नहीं करें, और तो और शुरूआती दिनों में रोज मंडराने वाले लीडर आखिरी वक्त में तो इस बात की ताक में रहते की कब वह मरणासन्न पीयूसी बंद हो जाये ताकि वे किसी नये आसामी को फिर पूरे स्टॉक के साथ पीयूसी, बाजार या शापिंग पॉइंट उस के स्थान पर दिला सकें ताकि लीडरों और कंपनी की कमाई पर तो कोई आँच नहीं आये मरने वाले भलेहि मरते रहे. हज़ारों पीयूसी जो कि चालू हो नुकसान में आ कर एक वर्ष से पहले बंद हो गयी उनके तन पर लिपटा आखरी कपड़ा सिक्योरटी जमा के 10000/- से 25000/- रुपये भी टीसीजी जैसे महान शख्स को उतारने में शर्म नहीं आयी, और तो और अपने आप को स्वयंभू बड़ा समाज सेवक घोषित करने वाले ने जिस RCM PUC का संचालक असामयिक अल्लाह को प्यारा हो गया और उनके परिवार वाले पीयूसी को आगे चालू रखना जारी नहीं रख पाएँ उनपे भी इस समाज सुधारक का कथित बड़ा दिल नहीं पसिजा, और तो और जो सामान कंपनी की सामान वापसी की शर्तो के अनुसार वापस डिपो में जमा कराया गया उसका रिफंड भी कई पीयूसी वालों को आज दिन तक नहीं दिया गया, कइयों का लेजर में रातों-रात हज़ारों रुपयों का स्टॉक ही गायब कर दिया गया आफ़िस में पूछने पर यह बताया गया कि वह समायोजित कर दिया गया जबकि कंपनी एक पेसे का सामान भी उधार नहीं देती थी तो किस बात का समायोजन? इस कारण एसे सामान का विक्रय बिल नहीं बन सकता था अंत एसे सामान को औने-पौने में बेच कर भारी घाटा पीयूसी संचालकों को उठाना पड़ा और इस प्रकार की धाँधलियो की कंपनी में उपर तक कोई सुनवाई नहीं होती थी, संचालक बेचारा सिर-फ़ुटबॉल बना एक चेंबर से दूसरे चेंबर कई-कई दिन आफ़िस बंद होने के समय तक भटकता रहता और हार मान कर अपनी किस्मत को कोसता हुआ टीसीजी के नाम शिकायती पत्र जमा करा के हज़ारों किलोमीटर दूर स्थित अपने घर वापस लौट आता यह सोच कर कि टीसीजी जैसा महा-पुरुष तो उसके पत्र पर ज़रूर कार्यवाही करेंगे लेकिन उस बेचारे को क्या मालूम कि "यथा राजा तथा प्रजा". 


RCM आरसीएम लीडरों के यह कहने पर कि कोई भी नयी दुकान को साल दो साल तो जमने में लगता ही हे पौधा लगाते ही तो पेड़ नही बन जाता, इस जाँसे में आ कर जो PUC वाले नये-नये जोश-जोश में मित्रों परिचितो आदि से ब्याज पर उधार ले कर भी पीयूसी में सामान भरते रहे यह सोच कर कि उस स्थान, शहर में मेंबर बढ़ने पर शॉप लाभ में आ जाएगी उनके पैरो तले से ज़मीन खिसक गयी यह सुन कर कि कंपनी उन्ही के शेत्र में अपना स्वय का बाजार लगा रही हे, उस शेत्र में जहाँ PUC वालों ने अपना तन-मन-धन यह सोच कर निछावर कर दिया कि RCM आरसीएम कंपनी के नियमानुसार उनकी दुकान से कम से कम 5 किलोमीटर दूर तक कोई अन्य पीयूसी नहीं खुलेगी वहाँ कंपनी अपने ही नियमों को धता बता कर खुद ही बाजार लगाने पर आमदा हो रही हे, और आख़िर हुआ वही जैसा कि टीसीजी की पहले से ही सोची समजी प्लानिंग, साजिश, बनियाबुद्धि थी, टीसीजी की तो हींग लगी न फिटकरी और रंग चोखा आ गया लेकिन बाज़ार के आस-पास की क्या दूर-दूर तक की पीयूसीये कालकँवलित हो गयी, इतिहास की बात हो गयी, लीडर लोग कहने लगे कि इसमें टी सी जी का क्या दोष वो तो शरु से ही कह रहे थे कि इतिहास रचेंगे.

B C G जब भी कंही मीटिंग देने जाता या कोई PUC, BAZAAR, RSP  पर जाता तो अपने साथ कई तरह की किताबे व् पम्पलेट ले कर जाता व् रेलवे स्टेशन पर जेसे कोई हाकर चिल्ला-चिल्ला कर अपना सामान बेचता हे वेसे ही यह हमारी पी यू सियों पर बेच कर अपनी कार में तेल भरवाता, कमाई कर के जाता जबकि उस PUC का किराया बेचारे PUC वाले भरते, इस तरह ये हमारे प्लेटफोर्म का फ्री में उपयोग करता, और इसके साथ आने वाले भुक्कड़ लीडर हमारी PUC से खाने का सामान उठा कर खा जाते जिसका कोई भुगतान नहीं किया जाता था, और हो-हल्ले, आपा-धापी में छोटे लीडर उठाईगीरों की तरह कुछ सामान अपनी जेब में डाल कर चलते बनते जेसे की उनके बाप की P U C हो.

कंपनी के द्वारा मिडिया के अख़बारों में विझापन दे कर 5000 RCM PUC चालू बतायी जा रही हे (हालाँकि यह भी इनका एक और सफ़ेद झूट हे क्योकि आरसीएम् टाइम्स में कुछ समय पहले चालू पीयूसीयों की जो डिटेल बताई गई थी वो 2500 के करीब थी) लेकिन करीब 50000 पचास हज़ार पीयूसी क्यों बंद हो गयी ये बात कंपनी के करता-धर्ता या कोई लीडर नहीं बताता, क्यों ?

2 comments:

  1. rcm ne mera bahat saare paise nahin diye. ab wapas mil saktaa hai kya. mere commission nahin diye ish fraude company ne.

    ReplyDelete
  2. आरसीएम पिक उप सेंटर(RCM Pick up Centres ) list complete in india:---> https://bit.ly/2UvoS3x

    ReplyDelete