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Tuesday 20 March 2012

RCM आर सी एम लीडरों के अंतर्कलह से ठगी


कहने को तो RCM आर सी एम कंपनी ने इस बिजनस को आपसी प्रेम और भाईचारा बढ़ाने और एक बार मेहनत करने के बाद कई पीढ़ियों तक आय उस मेहनत से लगातार मिलती रहेगी कह कर प्रचारित किया, लेकिन असली हकीकत कुछ और ही थी. आर सी एम् बिजनस प्लान इस तरह गढ़ा गया कि हर सदस्य की क्रोस लेग होती थी और सेमिनारों के मंच पर आपस में गले मिल कर अति प्रेम का नाटक करने वाले लीडर जिनके कि अच्छा-खासा कमीशन हर माह बनता था वे बेचारे इस तरह के बिजनस प्लान की वजह से मजबूर हो कर बाहर फिल्ड में एक-दुसरे की लेग पर कुल्हाड़ी
भी चला देते थे यानि कि क्रोस लेग में जुड़े अच्छे कार्य करने वाले को प्रलोभन दे कर अपनी लेग में जोड़ लेते, और यही छोटी सी गलती से वे टी सी जी के पहले से ही इस बात को ध्यान में रख कर बनायें शर्तो के जाल में फंस जाते, फिर शिकायतों का दौर शरु होता व् मामला टी सी जी तक जाता और जिस तरह दो बिल्लियाँ अपनी एक रोटी की लड़ाई के न्याय के लिए चालाक बन्दर के पास जाती हे तो क्या होता हे यह बात बच्चा-बच्चा जानता हे, जिस पक्ष का पलड़ा भारी होता वह बच जाता और हल्के पलड़े वाले की या दोनों की ही आईडी सर जी टर्मिनेट कर देते, अन्य लीडर लोग इस न्याय की वाह-वाह करते, खूब तालियाँ बजाते बिना यह जाने कि एक दिन किसी न किसी बहाने से आखिर उनका भी टिकट कट जायेगा, यही एक तरह से पहले से सोची समझी चाल, ठगी थी क्योंकि अब से हर माह उस टर्मिनेट हुई आईडी पर बनने वाला उतरोत्तर बढ़ता हुआ लाखों का कमीशन कंपनी के बेंक खातों में ही सर जी की पीढ़ियों तक के लिए कैद हो जायेगा और वह लीडर न घर का रहता न घाट का और ख़ून के आंसू रोता कि शायद सर जी का दिल पसीज जाए लेकिन उस जीव को क्या मालूम कि ये एहसान फरामोश अब इतने बड़े बन चुके कंगूरे की नीवं की ईट को इस तरह निकाल फेंकते हे जैसे दूध में से मक्खी. जाँच में इस तरह की करीब चार लाख आइडियें पाई गई हे जिन पर हर माह करोडो का कमीशन बनता था लेकिन उसका भुगतान उन सदस्यों, लीडरों को नहीं किया जाता था कंपनी के पास ही रहता था. आखिर उन लाखों भाइयों की हाय भगवान ने सुनी और उस घमंडी कंगूरे को टी.टा. की तरह जमींदोज कर दिया.

3 comments:

  1. RCM meeting ke naam par 50 rs ki thagi ......

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  2. RCM meeting ke naam par 50 rs ki thagi ......

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