यही बात तो भाई में आपको समझाना चाहता हूँ. आप लोग क्यों उस भगवान् के न्याय को गलत ठहराने पर तुले हे, भगवान् के न्याय के खिलाफ धरना दे रहे हे, आन्दोलन कर रहे हे. बड़ी मुश्किल से तो भगवान् की अब जा कर आँखे खुली हे उन्हें अब इतने लम्बे समय बाद जा कर समझ में आया कि जिसे उन्होंने त्रिलोक चन्द यानि तीनो लोको का स्वामी बना कर प्रथ्वी पर भेजा था वह क्या-क्या तीन-तिगाड़े कर रहा था. जनता उसके अत्याचारों से कराह रही थी.
कंही माता पार्वती उन 50 अनशन करने वालो की दशा देख कर पिघल गयी तो महादेव उस भस्मासुर को फिर अभय दान दे देंगे जो महादेव को ही मारने के लिए उस का प्रयोग करेगा और भोले शंकर को फिर मोहनी बन कर नाचना पड़ेगा.
क्या आपको कैलाशपति को नचाना शोभा देगा? यदि नहीं तो तुरंत नारद बन कर वहां जयपुर, जंतर-मंतर जा कर उन नासमझों का भूत मंतर-जंतर से उतारिये, इस कठिनाई से उबारने के लिए स्रश्ठी के सभी देव आपकी स्तुति करेंगे, आकाश से आप पर पुष्प वर्षा होगी अंत शुभ कार्य में देर न करे.
नहीं तो अपनी rcm की सम्मोहन की दशा से निकलने के लिए इस ब्लॉग को एक बार पूरा पढ़ ले आप पर चढ़ा भूत स्वय ही उतर जाएगा. : www.rcmmanch.blogspot.in/2012/05/blog-post.html
जय न्मार्ट मै भी RCM १० साल किया पर इतना बेवकूफी नहीं किया की जो सामने दिखाई देता है उसको नहीं समझना और जो दिखाई नहीं देता और सिनिअर के बातो में आकार APNE DIMAG KO NAHI LAGANA OR YE HI KAM SAB KAR RAHE HAI
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