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Thursday 15 March 2012

RCM आरसीएम, एक ठग कंपनी का सारांश

यह भारत हे यहाँ सेकड़ों लोगों की हत्या करने वाले उग्रवादी भी जेल में बड़े ही ठाट से रहते हें और ठगी में हिस्सा पाने वाले गिरोह के सदस्य अपने गिरफ्तार हुए RCM आरसीएम सरदार को छुड़ाने के लिए धरना, आमरण अनशन भी कर सकते हें, क्योकि आख़िर सरदार छूटेगा तभी तो उनको ठगी में हिस्सा मिलना वापस शरु हो पाएगा, उन नादानो को क्या पता क़ि जिसे वे रोज़गार समज रहें हें वह हक़ीकत में लाखों, करोडो लोगों को ठग कर ठगी की कुछ रकम उनके जैसे चंद लोगों में बाँटने का सरदार द्वारा कानून की आँखों में धूल झोंक कर बड़ी ही चालाकी और सफाई से बुना गया गेरक़ानूनी ताना-बाना था
ताकि वे लोग हर समय सरदार की वा-वा करते रहें और चंद रुपयो के लालच में सब कुछ जानते समजते हुए भी सरदार के सेवक बन कर नित नये भोले-भाले लोगो, ग्रामीणों को सरदार की एसी-वेसी नित नयी स्कीमों में फाँसते रहें जिनकी शर्तें एसी कि न तो नौ मॅन तेल हो न राधा नाचें, और उनमें से कुछ बेचारे यदि किसी तरह शर्त पूरी करने की स्थति तक पहुँचने वाले ही हो कि सरदार पुरानी स्कीम को बंद कर के नयी स्कीम लागू कर दे, यदि कोई विरोध में बोलने की हिमाकत करे तो सरदार उसकी आईडी ही टर्मिनेट करदे, आख़िर सरदार की सल्तनत हे तो नियम कायदे सरदार के ही तो होंगे, उन्हे चुनी हुई सरकार, कानून के नियम-अधिनियमओ की क्या परवाह?


जिसमें ये सरदार और गिरोह के लोग उनकी भावनाओं और मासूमियत को इतने सारे कारनामें मीडिया में उजागर हो जाने के बाद भी अब भी लूट रहे हें, बेशर्मी की भी एक हद होती हे. अगर सरदार पाक-साफ थे तो न्याय व्यवस्था से भागते क्यों फिर रहे थे? और अब जब पकड़े गये तो इतने स्वार्थी निकले क़ि खुद को छुड़वाने के लिये न्यालय में अपने आप को सबूतों से निर्दोष साबित करने के बजाय मासूमों को धरने और आमरण अनशन करने का आदेश दे रहें हे, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्रियों, कलेक्टरों आदि को झापन दिए जा रहें हे, गोया कि 'उल्टा चोर कोतवाल को डांटें'.

कुछ समय पहले तक देश की भलाई सोचने का ढोंग करने वाले सरदार अब गिरफ्तार होने पर पूरे देश में अराजगता फेलाना चाहते हें क्या इससे उनकी अपने देश के प्रति वास्तविक सोच उजागर नहीं होती हे? इस बात को आमजन को भी समजना चाहिए कि कोई भी व्यक्ति अपने व्यापार से नियमानुसार कर आदि चुका कर प्राप्त हुई शुद्ध आय से बहुत अधिक की संपति यदि बनाता हे तो अधिक वाला पेसा क्या हे? और कहाँ से? केसे आया? उसे एक न एक दिन दुनिया को बताना ही पड़ेगा और यह तो सभी जानते ही हे कि भगवान के घर देर हें अंधेर नहीं और उसकी लाठी आवाज़ भी नहीं करती.

ऐसे ठगों को यदि सरकार, न्यालय छोड़ देती हे यह समझ कर क़ि की ये करोड़ो लोगों को ठग रहे थे तो क्या कई लोगों को रोजगार भी तो दे रहे थे, अरबों रुपयों का काला-धन इक्कठा कर लिया तो क्या लाखों रुपयों का कर, राजस्व भी तो दिया था और इनके जेल में बंद हो जाने की वजह से कई परिवार मुसीबत में आ गए हें, सरकार को राजस्व-कर की हानि हो रही हे, तो फिर उन सभी चोर, उच्चकों, लुटेरों, ठगों, भ्रष्टाचारियों, आर्थिक-अपराधियों, डाकुओं आदि को भी छोड़ना पड़ेगा क्योकि वे भी तो अपरोक्ष रूप से इसी तरह का रोजगार दे रहे थे और उनके कारण कई घरों में चूल्हा जलता था. उनमें और इनमें फर्क सिर्फ इतना ही था कि वे ठग बन कर छुप कर ठगी करते थे और ये RCM आरसीएम वाले संत बन कर सरेआम ठगी कर रहे थे.

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