टीसीजी के लिये बिना वेतन, मज़दूरी लिए रात दिन काम भी करें, पूंजी भी लगाएँ और लाभ नहीं होने पर भी चू तक नहीं करें, और तो और शुरूआती दिनों में रोज मंडराने वाले लीडर आखिरी वक्त में तो इस बात की ताक में रहते की कब वह मरणासन्न पीयूसी बंद हो जाये ताकि वे किसी नये आसामी को फिर पूरे स्टॉक के साथ पीयूसी, बाजार या शापिंग पॉइंट उस के स्थान पर दिला सकें ताकि लीडरों और कंपनी की कमाई पर तो कोई आँच नहीं आये मरने वाले भलेहि मरते रहे. हज़ारों पीयूसी जो कि चालू हो नुकसान में आ कर एक वर्ष से पहले बंद हो गयी उनके तन पर लिपटा आखरी कपड़ा सिक्योरटी जमा के 10000/- से 25000/- रुपये भी टीसीजी जैसे महान शख्स को उतारने में शर्म नहीं आयी, और तो और अपने आप को स्वयंभू बड़ा समाज सेवक घोषित करने वाले ने जिस RCM PUC का संचालक असामयिक अल्लाह को प्यारा हो गया और उनके परिवार वाले पीयूसी को आगे चालू रखना जारी नहीं रख पाएँ उनपे भी इस समाज सुधारक का कथित बड़ा दिल नहीं पसिजा, और तो और जो सामान कंपनी की सामान वापसी की शर्तो के अनुसार वापस डिपो में जमा कराया गया उसका रिफंड भी कई पीयूसी वालों को आज दिन तक नहीं दिया गया, कइयों का लेजर में रातों-रात हज़ारों रुपयों का स्टॉक ही गायब कर दिया गया आफ़िस में पूछने पर यह बताया गया कि वह समायोजित कर दिया गया जबकि कंपनी एक पेसे का सामान भी उधार नहीं देती थी तो किस बात का समायोजन? इस कारण एसे सामान का विक्रय बिल नहीं बन सकता था अंत एसे सामान को औने-पौने में बेच कर भारी घाटा पीयूसी संचालकों को उठाना पड़ा और इस प्रकार की धाँधलियो की कंपनी में उपर तक कोई सुनवाई नहीं होती थी, संचालक बेचारा सिर-फ़ुटबॉल बना एक चेंबर से दूसरे चेंबर कई-कई दिन आफ़िस बंद होने के समय तक भटकता रहता और हार मान कर अपनी किस्मत को कोसता हुआ टीसीजी के नाम शिकायती पत्र जमा करा के हज़ारों किलोमीटर दूर स्थित अपने घर वापस लौट आता यह सोच कर कि टीसीजी जैसा महा-पुरुष तो उसके पत्र पर ज़रूर कार्यवाही करेंगे लेकिन उस बेचारे को क्या मालूम कि "यथा राजा तथा प्रजा".
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Thursday, 15 March 2012
RCM आरसीएम पीयूसी PUC संचालको का दर्द
टीसीजी के लिये बिना वेतन, मज़दूरी लिए रात दिन काम भी करें, पूंजी भी लगाएँ और लाभ नहीं होने पर भी चू तक नहीं करें, और तो और शुरूआती दिनों में रोज मंडराने वाले लीडर आखिरी वक्त में तो इस बात की ताक में रहते की कब वह मरणासन्न पीयूसी बंद हो जाये ताकि वे किसी नये आसामी को फिर पूरे स्टॉक के साथ पीयूसी, बाजार या शापिंग पॉइंट उस के स्थान पर दिला सकें ताकि लीडरों और कंपनी की कमाई पर तो कोई आँच नहीं आये मरने वाले भलेहि मरते रहे. हज़ारों पीयूसी जो कि चालू हो नुकसान में आ कर एक वर्ष से पहले बंद हो गयी उनके तन पर लिपटा आखरी कपड़ा सिक्योरटी जमा के 10000/- से 25000/- रुपये भी टीसीजी जैसे महान शख्स को उतारने में शर्म नहीं आयी, और तो और अपने आप को स्वयंभू बड़ा समाज सेवक घोषित करने वाले ने जिस RCM PUC का संचालक असामयिक अल्लाह को प्यारा हो गया और उनके परिवार वाले पीयूसी को आगे चालू रखना जारी नहीं रख पाएँ उनपे भी इस समाज सुधारक का कथित बड़ा दिल नहीं पसिजा, और तो और जो सामान कंपनी की सामान वापसी की शर्तो के अनुसार वापस डिपो में जमा कराया गया उसका रिफंड भी कई पीयूसी वालों को आज दिन तक नहीं दिया गया, कइयों का लेजर में रातों-रात हज़ारों रुपयों का स्टॉक ही गायब कर दिया गया आफ़िस में पूछने पर यह बताया गया कि वह समायोजित कर दिया गया जबकि कंपनी एक पेसे का सामान भी उधार नहीं देती थी तो किस बात का समायोजन? इस कारण एसे सामान का विक्रय बिल नहीं बन सकता था अंत एसे सामान को औने-पौने में बेच कर भारी घाटा पीयूसी संचालकों को उठाना पड़ा और इस प्रकार की धाँधलियो की कंपनी में उपर तक कोई सुनवाई नहीं होती थी, संचालक बेचारा सिर-फ़ुटबॉल बना एक चेंबर से दूसरे चेंबर कई-कई दिन आफ़िस बंद होने के समय तक भटकता रहता और हार मान कर अपनी किस्मत को कोसता हुआ टीसीजी के नाम शिकायती पत्र जमा करा के हज़ारों किलोमीटर दूर स्थित अपने घर वापस लौट आता यह सोच कर कि टीसीजी जैसा महा-पुरुष तो उसके पत्र पर ज़रूर कार्यवाही करेंगे लेकिन उस बेचारे को क्या मालूम कि "यथा राजा तथा प्रजा".
rcm ne mera bahat saare paise nahin diye. ab wapas mil saktaa hai kya. mere commission nahin diye ish fraude company ne.
ReplyDeleteआरसीएम पिक उप सेंटर(RCM Pick up Centres ) list complete in india:---> https://bit.ly/2UvoS3x
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